Written By : Ekta Mishra
शनि की साढ़े साती कुल साढ़े सात साल तक चलती है। यह तब शुरू होती है जब शनि आपकी जन्म राशि से बारहवें भाव में प्रवेश करता है। यह समय अक्सर कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा होता है। पहले चरण में व्यक्ति को मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानियां, काम में रुकावटें और पारिवारिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस समय शनि व्यक्ति को जीवन में अनुशासन और धैर्य सिखाने का प्रयास करता है। अगर जातक मेहनत, ईमानदारी और संयम से काम ले तो यह समय आत्मनिरीक्षण और सुधार का भी हो सकता है।
क्या होता है शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण
- शनि की साढ़े साती का पहला चरण ढाई साल का होता है, जो व्यक्ति की मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। इस समय शनि की स्थिति कुंडली में कैसी है, उसी के अनुसार अच्छे या बुरे फल मिलते हैं।
- इस चरण में व्यक्ति को चिंता, डर और असुरक्षा की भावना हो सकती है। मानसिक तनाव और अकेलापन बढ़ सकता है। वैवाहिक जीवन में भी तनाव आ सकता है, जिससे रिश्तों में कटुता बढ़ने लगती है।
- आर्थिक रूप से देखा जाए तो इस समय खर्चे बढ़ सकते हैं और धन हानि के योग भी बन सकते हैं। नींद की कमी, थकावट और शारीरिक कमजोरी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में व्यक्ति का मन किसी काम में नहीं लगता और ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
- धैर्य और संयम से काम लेना इस समय में बहुत जरूरी होता है।
शनि की साढ़े साती के उपाय
- शनि की साढ़े साती के समय कुछ आसान उपाय अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है:
- हनुमान चालीसा का पाठ रोज करें। यह शनि दोष से राहत दिलाने में मदद करता है।
- शनिदेव का ध्यान और पूजा नियमित रूप से करें। इससे मानसिक शांति मिलती है।
- जीव-जंतुओं की सेवा करें और जरूरतमंदों को दान दें। यह शनि को शांत करने का अच्छा तरीका है।
- शनि मंदिर में सरसों या तिल का तेल और काले तिल चढ़ाएं। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
- सूर्य देव को जल चढ़ाएं और यदि संभव हो तो यमुना नदी में स्नान करें, यह भी लाभकारी माना जाता है।
- इन उपायों से शनि की साढ़े साती का असर कुछ हद तक कम किया जा सकता है।