जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर गोमती नदी के किनारे स्थित बाबा टेढ़ेनाथ का शिव मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र माना जाता है, जहां दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। सावन महीने में यहां विशेष मेले का आयोजन होता है जिसमें भारी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। कांवड़िए गंगाजल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
बाबा टेढ़ेनाथ के शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना धर्मराज युधिष्ठिर ने की थी और यह मंदिर महाभारत काल का माना जाता है। कहा जाता है कि उस समय यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा था, जहां राजा विराट की गायें चरने आया करती थीं। इस क्षेत्र को पड़ेहार क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है और यहां लोग अपने बच्चों के मुंडन, अन्नप्राशन जैसे संस्कार भी संपन्न कराते हैं।
क्यों कहा जाता है टेढेनाथ
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय सात कांवड़िये बाबा टेढ़ेनाथ के मंदिर परिसर में आए। उस समय शिवलिंग झुका हुआ था। कांवड़ियों ने कहा कि यदि शिवलिंग रात भर में सीधा हो गया, तो वे गोला स्थित शिव मंदिर में जलाभिषेक करने नहीं जाएंगे और यहीं बाबा टेढ़ेनाथ के मंदिर में जल चढ़ाएंगे। सात में से चार कांवड़ियों ने जलाभिषेक कर दिया, लेकिन तीन ने ऐसा नहीं किया। अगली सुबह देखा गया कि शिवलिंग आधा सीधा हो गया था, लेकिन तीन कांवड़ियों द्वारा जल न चढ़ाने के कारण वह पूरी तरह सीधा नहीं हो सका और आधा टेढ़ा ही रह गया। तभी से इस मंदिर को बाबा टेढ़ेनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।