Written By : Ekta Mishra
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीना दान और पुण्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है और इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने महात्मा बुद्ध के रूप में अवतार लिया था। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को एक पवित्र पर्व के रूप में मनाते हैं। यह दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। कहा जाता है कि इस तिथि पर सच्चे भाव से पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में सुख-शांति आती है।
कब मनाई जाएगी वैशाख पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा 11 मई को शाम 6 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और 12 मई को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए वैशाख पूर्णिमा इस बार 12 मई को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रोदय शाम 5 बजकर 59 मिनट पर होगा और उसी समय चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
क्या है वैशाख पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन दान और स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। माना जाता है कि वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही व्रत रखकर चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली का चंद्र दोष भी दूर होता है।
वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ पीले कपड़े पहनें। फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में फल, फूल, अक्षत, चंदन और मिठाई अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें और आरती करें। ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। जरूरतमंदों को दान दें। रात को चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें।
वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या दान करना चाहिए
वैशाख पूर्णिमा के दिन जल पात्र, कुल्हड़, पंखा, चप्पल, छाता, घी, फल, चीनी, चावल और नमक जैसे चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से मन को शांति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन दान करने से भगवान विष्णु और यमराज दोनों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे अकाल मृत्यु का डर दूर होता है।