मध्य प्रदेश में इंदौर जिले से 25 किलोमीटर दूर स्थित सांवेर में भगवान हनुमान की उल्टी प्रतिमा प्रतिष्ठित है, यानी भगवान हनुमान का सिर नीचे और पैर ऊपर हैं। देशभर में यही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान की उल्टी प्रतिमा है। जबकि देश के तमाम मंदिर में हनुमान की प्रतिमा या तो खड़े या तो बैठे हुए प्रतिष्ठित है। उल्टे हनुमान के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं। यहां भग हुनमान का एक ऐसा मंदिर है, जो चमत्कारिक तो है ही साथ ही इसका संबंध रामायण काल से भी मिलता है। साथ ही मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान हनुमान की प्रतिमा भी अपने आप में अनोखी है। भगवान हुनमान का यह मंदिर काफी प्राचीन है। जहां 13वीं सदी यानी सन् 1200 का भी इतिहास मिलता है। साथ ही यहां कई संतों की समाधियां भी बनी हुई है। इसके अलावा मंदिर परिसर में पीपल, नीम, तुलसी, बरगद के कई पेड़ हैं, जो कि मंदिर की प्राकृतिक शोभा बढ़ाते है।
रामायण काल से संबंध
भगवान हनुमान के इस मंदिर को रामायण काल से जुड़ा हुआ भी माना जाता है। दरअसल, राम-रावण युद्ध के दौरान रावण का मित्र और पाताल का राजा अहिरावण छल से अपना भेष बदलकर श्रीराम की सेना में शामिल हो गया और जब रात में सभी लोग सो रहे थे, तभी श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित कर अपहरण कर अपने साथ पाताल लोक ले गया।
भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त करवाया
बाद में, भगवान हुनमान को जानकारी मिली कि श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण अपने साथ ले गया है और वह दोनों की बलि देने की तैयारी में है। जिसके बाद हनुमान भी उनकी खोज में पाताल लोग पहुंच गए। जहां अहिरावण और हनुमान में युद्ध हुआ और हनुमान ने अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त करवा लिया और अपने साथ रणभूमि ले आए।
माना जाता है कि जब भगवान हनुमान पाताल लोक जा रहे थे, तब उनका सिर धरती की ओर और पैर आकाश की ओर थे, जिसके कारण उनकी इस तरह की प्रतिमा को स्थापित किया। मंदिर को संकटमोचन की पाताल विजय के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है।
पूरी होती है मनोकामना
जहां भगवान हनुमान के इस मंदिर का धार्मिक महत्व तो वहीं मंदिर चमत्कारों से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि जो भी भक्त लगतार तीन या पांच मंगलवार तक मंदिर के दर्शन करता है, संकटमोचन उसके सारे संकट हर लेते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। साथ ही मंगलवार को भगवान हनुमान को चोला भी चढ़ाया जाता है।