Written By : Ekta Mishra
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 9 मई 2025 को है, जो शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और कर्ज, तनाव व परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह दिन महिलाओं के लिए भी खास होता है। इस दिन भोलेनाथ को जल, बेलपत्र और शमी का फूल चढ़ाने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-शांति आती है। इस बार शुक्र प्रदोष पर हस्त नक्षत्र और वज्र योग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ बनाता है। इस दिन व्रत की कथा सुनना या पढ़ना बहुत फलदायी माना जाता है।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा
प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा का एक खास और शुभ दिन होता है। माना जाता है कि इस दिन की पूजा व्रत कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए शुक्र प्रदोष व्रत पर कथा सुनना या पढ़ना बहुत जरूरी होता है। कथा के अनुसार, एक समय की बात है कि एक नगर में तीन अच्छे दोस्त रहते थे—राजकुमार, ब्राह्मण पुत्र और धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण पुत्र की शादी हो चुकी थी। कुछ समय बाद धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया, लेकिन उसका गौना नहीं हुआ था, इसलिए उसकी पत्नी अपने मायके में ही रहती थी।
एक दिन तीनों दोस्त आपस में बैठकर स्त्रियों के बारे में बात कर रहे थे। बातचीत के दौरान ब्राह्मण कुमार ने कहा कि बिना नारी के घर भूतों का डेरा लगता है। उसकी यह बात सुनकर धनिक पुत्र ने अपनी पत्नी को मायके से लाने का फैसला कर लिया। जब उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई, तो उन्होंने समझाया कि इस समय शुक्र ग्रह अस्त हैं और इस समय बहू-बेटियों को विदा कराकर घर लाना अशुभ माना जाता है। इसलिए कुछ समय रुक जाना बेहतर होगा।
लेकिन धनिक पुत्र ने अपने माता-पिता की बात नहीं मानी और अपनी पत्नी को लेने ससुराल पहुंच गया। वहां भी उसे बहुत समझाया गया, लेकिन वह नहीं माना। आखिरकार उसकी जिद के आगे सभी को झुकना पड़ा। कुछ देर बाद वह अपनी पत्नी के साथ घर लौटने के लिए निकल पड़ा। जैसे ही वह शहर से बाहर आया, उसकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। इस हादसे में पति-पत्नी दोनों को चोट भी लगी, लेकिन इसके बावजूद वे घर की ओर बढ़ते रहे।
कुछ दूर चलने के बाद धनिक पुत्र और उसकी पत्नी को डाकुओं ने रोक लिया और उनका सारा सामान और धन लूट लिया। किसी तरह वे दोनों घर पहुंचे ही थे कि धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया। तुरंत वैद्य को बुलाया गया। जांच के बाद वैद्य ने बताया कि धनिक पुत्र की तीन दिन में मृत्यु हो जाएगी। यह खबर जब उसके मित्र ब्राह्मण कुमार को मिली, तो वह तुरंत उसके घर पहुंचा। उसने धनिक पुत्र के माता-पिता से कहा कि वे शुक्र प्रदोष व्रत रखें और धनिक पुत्र व उसकी पत्नी को वापस ससुराल भेज दें। माता-पिता ने उसकी बात मान ली और दोनों ससुराल लौट गए। वहां पहुंचते ही धनिक पुत्र की तबीयत धीरे-धीरे ठीक होने लगी। तभी से यह माना जाता है कि शुक्र प्रदोष व्रत रखने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।