माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही है…
माँ शारदे कहाँ तू,वीणा बजा रही है,
किस मंजू ज्ञान से तू,जग को लुभा रही है।।
किस भाव में भवानी,तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी,क्यों माँ तू सुन रही है,
हम दीन बाल कब से,विनती सुना रहें है,
चरणों में तेरे माता,हम सर झुका रहे है,
हम सर झुका रहे हैं,मां शारदे कहाँ तू,
वीणा बजा रही हैं,किस मंजू ज्ञान से तू,
जग को लुभा रही है।।
अज्ञान तुम हमारा,माँ शीघ्र दूर कर दो,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में,माँ शारदे तू भर दे,
बालक सभी जगत के,सूत मात हैं तुम्हारे,
प्राणों से प्रिय है हम,तेरे पुत्र सब दुलारे,
तेरे पुत्र सब दुलारे,मां शारदे कहाँ तू,
वीणा बजा रही हैं,किस मंजू ज्ञान से तू,
जग को लुभा रही है।।
हमको दयामयी तू,ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको,माँ शारदे पिलाओ,
मातेश्वरी तू सुन ले,सुंदर विनय हमारी,
करके दया तू हर ले,बाधा जगत की सारी,
बाधा जगत की सारी,मां शारदे कहाँ तू,
वीणा बजा रही हैं,किस मंजू ज्ञान से तू,
जग को लुभा रही है।।
जय सरस्वती माता…
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥