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दिव्य सुधा > सनातन धर्म > मंदिर > राजस्थान के दो चमत्कारी मंदिर जहां होती है दाढ़ी-मूंछ वाले देवताओं की पूजा
मंदिर

राजस्थान के दो चमत्कारी मंदिर जहां होती है दाढ़ी-मूंछ वाले देवताओं की पूजा

दिव्यसुधा
Last updated: May 10, 2025 1:12 pm
दिव्यसुधा
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खाटूश्यामजी और सालासर बालाजी
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Written By : Ekta Mishra

Contents
सालासर बालाजी के बारें मेंखाटूश्याम जी के बारे में

राजस्थान के दो प्रसिद्ध मंदिर खाटूश्याम जी और सालासर बालाजी दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इन दोनों मंदिरों के बीच की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। भक्तों की मान्यता है कि अगर कोई खाटूश्याम जी के दर्शन करता है, तो उसे सालासर बालाजी के दर्शन भी जरूर करने चाहिए। ऐसा करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। ये दोनों मंदिर राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, और पर्यटन विभाग के अनुसार, सबसे ज्यादा श्रद्धालु इन्हीं दो स्थानों पर आते हैं।

राजस्थान के दो प्रसिद्ध मंदिर खाटूश्याम जी और सालासर बालाजी भक्तों की आस्था के कारण आपस में जुड़े हुए माने जाते हैं। इन दोनों मंदिरों की खास बात यह है कि यहां विराजित देवताओं की मूर्तियों में दाढ़ी और मूंछ होती है। भक्तों का मानना है कि ये दोनों मंदिर बहुत चमत्कारी हैं। खाटूश्याम जी मंदिर में फाल्गुन मास की एकादशी पर बड़ा आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। वहीं सालासर धाम में हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर खास आयोजन होता है, जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।

सालासर बालाजी के बारें में

सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यह मंदिर 18वीं शताब्दी में मोहनदास जी महाराज द्वारा बनवाया गया था। यहां विराजित हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू (स्वतः प्रकट) मानी जाती है। खास बात यह है कि इस मूर्ति में हनुमान जी की दाढ़ी और मूंछ भी दिखाई देती है, जो उन्हें विशेष बनाती है। भक्त मानते हैं कि सालासर बालाजी के दर्शन से भूत-प्रेत बाधा, डर और नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है। हर साल यहां हनुमान जयंती पर भव्य आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। यह मंदिर आस्था और चमत्कार का प्रतीक माना जाता है।

खाटूश्याम जी के बारे में

खाटूश्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के अवतार बर्बरीक, जिन्हें बाबा श्याम कहा जाता है, को समर्पित है। बर्बरीक ने महाभारत युद्ध में भाग लेने के लिए तीन बाणों के साथ तप किया था, लेकिन भगवान कृष्ण से मिलने के बाद उन्होंने अपना सिर दान कर दिया। यही सिर श्याम कुंड में प्रकट हुआ, जहां आज खाटूश्याम जी का भव्य मंदिर बना है। बाबा श्याम को “तीन बाणधारी” और “हारे के सहारे” के नाम से भी जाना जाता है। भक्त मानते हैं कि जो भी सच्चे मन से बाबा से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। हर साल फाल्गुन महीने की एकादशी पर यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर श्रद्धा, भक्ति और चमत्कार का प्रतीक माना जाता है।

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