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दिव्य सुधा > सनातन धर्म > मंदिर > कनिपकम गणपति मंदिर : तीन बातें जो इसे बनाती हैं अद्भुत
मंदिर

कनिपकम गणपति मंदिर : तीन बातें जो इसे बनाती हैं अद्भुत

दिव्यसुधा
Last updated: May 28, 2025 11:49 am
दिव्यसुधा
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कनिपकम गणपति मंदिर
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आज हम आपको भगवान गणेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित कानिपकम गांव के गणपति मंदिर हैं इस मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है। इसे 11वीं शताब्दी में चोल राजा कुलोथुंगा चोल ने बनवाया था बाद में 1336 में विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने इसका विस्तार किया। इस मंदिर की सबसे खास बात है यहां की गणेश जी की मूर्ति, जो खुद-ब-खुद धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। मंदिर के बीच से एक नदी भी बहती है, जो इसे और भी पवित्र और अनूठा बनाती है। कहा जाता है इस मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की हर इच्छा पूरी होती है और गणेश जी भक्तों के हर पाप को हर लेते है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के बारें में

प्रतिदिन बढ़ता है गणेश जी के प्रतिमा का आकार

यहां जाने वाले भक्तों का कहना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से कनिपकम गणेश मंदिर में मन्नत मांगता है, उसकी इच्छा गणेश जी अवश्य पूरी करते है यहां कई महिलाओं की गोद भरी है और कई कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिला है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि गणेश जी की प्रतिमा की आकार रोज धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। सुनने में यह बात अजीब लग सकती है लेकिन यह सच है। एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने भगवान को एक खास कवच चढ़ाया था, लेकिन अब वह कवच मूर्ति पर फिट नहीं आता क्योंकि मूर्ति का आकार बढ़ चुका है।

यहां भक्तों की भी होती है परीक्षा

इस मंदिर की खासियत सिर्फ मूर्ति का आकार बढ़ना ही नहीं है बल्कि इस मंदिर के बीचोबीच बहने वाली नदी भी बहुत पवित्र मानी जाती है जो भक्तों के लिए बहुत महत्व रखती है। कहा जाता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्तों को भी परीक्षा से गुजरना पड़ता है। लोग छोटी-छोटी गलतियां न करने की शपथ लेते हैं और भगवान के दर्शन से पहले इस पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। यह डुबकी न सिर्फ शरीर को शुद्ध करती है, बल्कि मन को भी साफ करती है, जिससे भक्त शुद्ध भाव से भगवान गणेश के दर्शन कर सकें।

नदी की भी है कहानी

कनिपकम गणेश मंदिर में बहने वाली नदी सिर्फ एक साधारण नदी नहीं, बल्कि इस नदी से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी भी है। कहा जाता है संखा और लिखिता नाम के दो भाई कनिपकम की यात्रा पर निकले थे। रास्ता लम्बा होने कि वजह से उनको भूख लग गयी। तभी लिखिता को एक आम का पेड़ दिखा और वह बिना अनुमति के आम तोड़ने लगा। उसके भाई संखा ने उसे रोका, लेकिन वह नहीं माना। गुस्सा होकर संखा ने यह बात पंचायत में बता दी, और सजा के तौर पर लिखिता के दोनों हाथ काट दिए गए।लिखिता ने पश्चाताप करते हुए कनिपकम के पास बह रही नदी में अपने हाथ डाले और चमत्कार हुआ! उसके कटे हुए हाथ फिर से जुड़ गए। तभी से इस नदी को “बहुदा नदी” कहा जाने लगा।
आज भी इस नदी को बहुत पवित्र माना जाता है और कनिपकम गणेश मंदिर को “बहुदा नदी के तट पर स्थित मंदिर” के रूप में जाना जाता है।

TAGGED:ganesh mandirhumare bhgwanmandirकनिपकम गणपति मंदिरसनातन धर्म
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