History of Lord Jagannath : क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि किसी मंदिर की छत से चिलचिलाती धूप में भी अचानक से पानी टपकने लगे। बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए। ये घटना है तो बहुत हैरान कर देने वाली लेकिन सच तो यही है। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है बेहटा। यहीं पर है धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य। यह घटनाक्रम किसी आम इमारत या भवन में नहीं बल्कि यह होता है भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में।
मंदिर की खासियत:-
इस मंदिर की खासियत यह है कि बरसात से ७ दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती हैं, सबसे बड़ा अजूबा यह है कि इससे टपकी हुई बुँदे भी बारिश के बूंदों के आकर कि होती है वही जिस दिन बारिश शुरू होती है तो मंदिर में पानी टपकना बंद हो जाता है और मंदिर की छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसके भीतर लगे पत्थर बारिश और मानसून की सटीक भविष्यवाणी करते हैं। बताया कि गांव और आस-पास के गांवों के लोग बारिश का अनुमान पत्थर से टपकती बूंदों से ही लगाते हैं। मान्यता है कि मंदिर से टपकने वाली बूंदें जितनी बड़ी होती हैं, बारिश उतनी ही अच्छी होती है। अभी यहां से टपक रही बूंदें छोटी हैं जो आगे चलकर बड़ी हो जाएंगी। ऐसे में इसका नाम मानसूनी मंदिर और मौसम का मंदिर भी पड़ गया है। बेहटा और आसपास के गांव के लोगों का दावा है कि करीब 4 हजार साल पुराने इस मंदिर से संकेत हो जाता है कि इस साल कैसे बारिश होगी। ये भविष्यवाणी सटीक साबित होती है।
मंदिर का निर्माण :-
लोगों की मंदिर में आस्था है। हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके। बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं, लेकिन बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसानों को जरूर सहायता मिलती है इस इलाके के लोग इसे मानसून आने का पहला संदेशा समझ कर अपने घरेलू व खेती के काम निपटाने की योजना बनाने लगे हैं। मान्यता है कि मानसून आने से पहले यह पत्थर पानी टपकाकर संदेश देने लगता है। मंदिर के गुंबद पर एक चक्र लगा हुआ है, जिसकी वजह से आज तक यहां पर आकाशीय बिजली नहीं गिरी। जगन्नाथ मंदिर कितना पुराना है, इसका सटीक आकलन अभी तक नहीं हो पाया। किसी बौद्ध मठ जैसे आकार वाले इस मंदिर की दीवारें करीब 14 फीट मोटी हैं, मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां हैं। उसमें भगवान विष्णु के 24 अवतार देखे जा सकते हैं इन 24 अवतार में कलयुग में अवतार लेने वाले कल्कि भगवान की भी मूर्ति स्थापित है। आजकल यह मंदिर पुरातत्व के अधीन है। जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथ यात्रा यहां से भी निकाली जाती है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार ११ वीं शताब्दी के आसपास हुआ था। मंदिर 9वीं सदी का हो सकता है।
Leave a Reply