आपने देश के कई मंदिरों की अलग-अलग परंपराओं के बारे में सुना होगा, लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार में एक ऐसा मंदिर स्थित हैं जहां एक अनोखी मान्यता प्रचलित है। जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में चोरी करने से मनोकामना पूरी होती है।
लोकड़ा चुराने से पूरी होती है मनोकामना
उत्तराखंड के रुड़की के पास माता चूड़ामणि देवी का एक प्राचीन मंदिर है कहते है जो भी दम्पति संतान की इच्छा रखते है और खासकर जिन्हें बेटे की चाह होती है , वे यहां आकर एक खास परंपरा निभाते हैं। इस मंदिर में भक्त माता के चरणों से लकड़ी का बना छोटा गुड्डा, जिसे लोकड़ा कहा जाता है, “चोरी” करके अपने साथ ले जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामना पूरी होती है और उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। इच्छा पूरी होने के बाद बेटा होने पर दंपती यहां से ले जाए हुए लोकड़े के साथ ही एक अन्य लोकड़ा भी अपने बेटे के हाथों देवी के चरणों में चढ़ाते हैं। इसके बाद धन्यवाद स्वरूप दंपति माता के आशीर्वाद से मिले पुत्र के लिए यहां भंडारा कराते हैं।
लोकड़ा क्या है
आप सोच रहे होंगे कि आखिर लोकड़ा क्या है तो बता दें कि लोकड़ा लकड़ी का बना एक खिलौना होता है, जो पुत्र का प्रतीक माना जाता है। जिसे माता चूड़ामणि के चरणों के पास रखा जाता है। जिन दंपतियों को पुत्र की इच्छा पूरी हो जाती है। तो वे जून या जुलाई के महीने में अपने बेटे के साथ मंदिर में वापस आते हैं। यहां वे माता की पूजा करते हैं और एक नया लोकड़ा चढ़ाते हैं, जिससे यह परंपरा आगे भी चलती रहे।
लंढौरा रियासत के राजा ने करवाया निर्माण
सन 1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने मां चूड़ामणि देवी मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर से जुड़ी कहानी के अनुसार, एक बार लंढौरा रियासत के राजा शिकार करने जंगल में गए थे उन्हें वहां घूमते-घूमते मां की पिंडी के दर्शन हुए। राजा का कोई पुत्र नहीं था इसलिए राजा ने माता से पुत्र के लिए कामना की। मां ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा की इच्छा पूरी होने के बाद उन्होंने मां के आशीर्वाद से इस मंदिर का निर्माण करवाय। तभी से यहां लोकड़ा चुराने की परंपरा शुरू हो गई, जो आज भी चली आ रही है। इस परंपरा के कारण दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।