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दिव्य सुधा > अन्य > जानिए , कितने प्रकार के होते हैं मंत्र और जाप करने का सही तरीका
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जानिए , कितने प्रकार के होते हैं मंत्र और जाप करने का सही तरीका

दिव्यसुधा
Last updated: May 31, 2025 3:29 pm
दिव्यसुधा
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mantra jap
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सनातन धर्म में ईश्वर प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग का विधान है। कालांतर में ऋषि-मुनि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए तप किया करते थे। इस दौरान तपस्वी मंत्र जाप किया करते थे। हिन्दू धर्म में कोई भी पूजा- अनुष्ठान मन्त्रों के बिना पूरा नहीं होता है। प्रत्येक पूजा पर धार्मिक अनष्ठान में मन्त्रों का उच्चारण अवश्य किया जाता है। वैदिक काल से ही हमारे धर्म में मंत्र उच्चारण और जाप करने की परंपरा रही है। धार्मिक शास्त्रों में मंत्र जाप का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ मंत्र जाप के कई वैज्ञानिक लाभ भी बताए गए हैं। मंत्र जाप करने से दुख संकट, रोग, व्याधि और चिंता दूर होती है। इसके लिए शास्त्र में भिन्न-भिन्न प्रकार के मंत्रों का वर्णन किया गया है। देवी- देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मंत्र का जाप करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन मंत्र जाप के बारे में सही से जानकारी न होने के कारण हम कई बार गलतियां करते है। जिस कारण हमे मंत्र जाप करने का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। यदि मंत्र जाप का पूर्ण फल प्राप्त करना है तो इसके लिए नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है।

अपांशु मंत्र जाप
यह मंत्र जाप मानसिक और वाचिक जाप का मिश्रण होता है। इसे करते समय साधक बिना उच्चारण के मन ही मन मंत्र जाप करता है। इसमें साधक के होंठ से मंत्र जाप करने का पता चलता है। वहीं, मंत्र जाप किसी अन्य व्यक्ति को सुनाई नहीं देता है।

वाचिक मंत्र जाप
वर्तमान समय में लोग वाचिक जाप ज़्यादा करते हैं। इसमें साधक जोर-जोर से मंत्र जाप करता है। आसान शब्दों में कहें तो उच्च स्वर में मंत्र जाप करता है। आमतौर पर लोग पूजा और यज्ञ के दौरान वाचिक मंत्र जाप करते हैं।

मानसिक मंत्र जाप
मानसिक मंत्र जाप सबसे उत्तम माना जाता है। इसमें साधक मंत्रों का उच्चारण मुख से नहीं, बल्कि मन से करता है। इस जाप में साधक के होंठ नहीं हिलते हैं। सामने बैठे व्यक्ति को भी मानसिक मंत्र जाप का पता नहीं चलता है।

मंत्र जाप करने का नियम

  • मंत्र जाप से पहले शुद्धि आवश्यक है इसलिए दैनिक क्रिया से निवृत्त होने और स्नानादि करने के बाद ही जाप करना चाहिए।
  • जाप के स्थान को साफ कर लेना चाहिए और एक स्वच्छ आसन पर बैठकर ही जाप करना चाहिए।
  • मंत्र जाप के लिए कुश का आसान सबसे उत्तम माना जाता है क्योंकि कुश ऊष्मा का सुचालक है, जिससे मंत्र जाप करते समय ऊर्जा हमारे शरीर में समाहित होती है।
  • साधारण रूप से मंत्र जाप के लिए तुसली की माला उत्तम माना जाता है , लेकिन यदि किसी कार्य सिद्धि के लिए जाप किया जाए तो उक्त देवी-देवता के अनुसार ही माला लेनी चाहिए। जैसे भगवान शिव के लिए रुद्राक्ष तो लक्ष्मी जी के लिए कमलगट्टे या स्फटिक की माला श्रेष्ठ मानी जाती है।
  • मंत्र हमेशा शांत स्थान पर करना चाहिए ताकि जाप में किसी प्रकार की कोई बाधा न पड़े और न ही ध्यान भटके।
  • मंत्र जाप के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि उस समय वातावरण शांत, शुद्ध और सकारात्मक रहता है।
  • यदि प्रतिदिन जाप करते हैं तो हमेशा एक ही स्थान और एक निश्चित समय पर भी मंत्र जाप करना चाहिए।
  • मंत्र जाप करते समय माला को खुला न रखें। माला सदैव गौमुखी के अंदर ढक कर ही रखनी चाहिए।
  • जाप की माला खरीदते समय भलिभांति देख लें कि उसमें 108 मनके होने चाहिए और हर मनके के बीच में एक गांठ लगी होनी चाहिए। ताकि जाप करते समय संख्या में कोई गलती न हो।
  • जिस भी देवी-देवता का जाप कर रहे हैं उनकी छवि को मन में रखकर जाप करना चाहिए और नित्य कम से कम एक माला का जाप पूर्ण अवश्य करना चाहिए।
TAGGED:mantramantra jap karne ka tareeka
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