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दिव्य सुधा > अन्य > Ganesh ji and Kuber : गणेश जी ने कुबेर के घमंड को किया चूर
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Ganesh ji and Kuber : गणेश जी ने कुबेर के घमंड को किया चूर

दिव्यसुधा
Last updated: March 5, 2025 10:35 am
दिव्यसुधा
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Ganesh ji and Kuber
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बुधवार को विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी का दिन माना जाता है। बुधवार के दिन गणेश जी का विशेष रूप से पूजा की जाती है। आज आपको गणेश जी की एक कथा के बारे में बताते हैं। एक बार जब कुबेर लंका और धन के मद में चूर अपने आप को सबसे अधिक धनवान दिखाने के लिए गणेश जी को आमंत्रित करते हैं, गणेश जी उनके घमंड को कुछ समय में ही तोड़ देते हैं और उनके पूरे धन संपत्ति को तुच्छ साबित कर देते है। कुबेर के पास ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से सबसे अधिक धन और स्वर्ण था। इस बात का प्रदर्शन कैन के लिए कुबेर ने सोने की लंका बनवाई, जिसको बाद में उनके सौतेले भाई रावण ने हड़प लिया था। सोने की लंका बनवाने के पश्चात अपने धन का प्रदर्शन करना कहते थे। इसके लिए कुबेर ने शिव जी को अपने लंका में आमंत्रित करने का सोचकर कैलाश पहुँच गए, लेकिन शिव जी अपने ध्यान में लीन थे। कुछ समय बाद जब उनकी आँख खुली तो वे कुबेर के मन की बात जान गए। शिव जी को कुबेर ने प्रणाम किया और भोजन के लिए सोने की लंका में आमंत्रित किया। फिर भगवान शिव ने कहा कि वे नहीं आ पाएंगे, परन्तु उनके छोटे पुत्र गणेश अवश्य जायेंगे।

कुबेर का घमंड हुआ चूर :

कुबेर जी ने तय समय पर विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करवाए। उधर गणेश जी भी अपने मूषक पर सवार होकर लंका पहुँच गए। कुबेर को ऐसा महसूस हुआ कि गणेश जी सोने की लंका और धन सम्पति को देखकर प्रभावित होंगे और यहाँ से जाने के बाद कैलाश पर इसकी चर्चा करंगे। कुबेर जी ने गणपति जी का सत्कार किया और लंका भ्रमण का प्रस्ताव रखा, तो गणेश जी बोले मै तो यहाँ पर भोजन के निमंत्रण पर आये हैं , न कि लंका भ्रमण के लिए। उन्होंने कुबेर से कहा आप भोजन का प्रबंध करें, फिर कुबेर ने तुरंत भोजन लगवाया और गणेश जी आसन पर विराजमान हो गए। गणपति जी को भोजन बहुत प्रिय हैं वे जब तक माता पार्वती के हाथों एक निवाला नहीं खाते तब तक उनका पेट नहीं भरता। गणेश जी के सामने कुबेर ने 56 प्रकार के व्यंजन परोसे। सारा भोजन गणेश जी ने पलभर में ही चट कर दिया कुबेर ने अपने सभी रसोइयों को खाना बनाने और खिलाने पर लगा दिया, एक ओर खाना आता और पलभर में गणेश जी सारा खाना खा जाते। देखते-देखते ही कुछ समय में गणेश जी कुबेर के महल का सारा भोजन और अन्न खा गए। कुछ कथाओं के अनुसार, गणेश जी को इतनी भूख लगी थी कि कि वे कुबेर के स्वर्ण भंडार को भी खा गए थे। अंत में कुबेर हाथ जोड़कर गणपति के सामने खड़े हो गए और बोले कि अब उनके पास खिलाने के लिए कुछ भी शेष नहीं है। इस पर गणेश जी बोले कि इतना धन सम्पति कि काम की जब आप उनको भोजन ही न करा सके। इस बात को सुनकर कुबेर बहुत लज्जित हो गए। यह सब देखकर त्रिदेव मुस्कुराने लगे और गणेश जी कैलाश लौट आए। इस प्रकार से गणेश जी ने कुबेर के घमंड को चूर कर दिया।

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