जागेश्वर धाम भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जिसे ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है और भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक हैं। इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण जैसे पौराणिक कथाओं में मिलता है। मंदिर में मौजूद शिलालेख नक्काशी और मूर्तियां एक खजाना है। इस मंदिर में शंकर भगवान के नागेश स्वरुप की पूजा की जाती है। अल्मोड़ा जिले में कई पौराणिक और एतिहासिक मंदिर हैं। इसमें पौराणिक जागेश्वर धाम विश्व में प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है। जागेश्वर धाम न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और वास्तुकला के दृष्टिकोण से भी खास है। जो इस जगह को और भी खास बनाते हैं। यह मंदिर जाटगंगा नदी की घाटी में स्थित है और शांत वातावरण के बीच भक्तों को एक अलौकिक अनुभव प्रदान करता है।
124 मंदिरों का अद्वितीय समूह
मान्यता है कि जागेश्वर धाम वह स्थान है जहां भगवान शिव और सप्तऋषियों ने अपनी तपस्या की शुरुआत की थी। कहा जाता है कि यहीं से शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरू हुआ था। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि इसकी बनावट बिल्कुल केदारनाथ मंदिर के जैसी है। जागेश्वर धाम में लगभग 124 छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं। ये सभी मंदिर मिलकर जागेश्वर धाम की पहचान बनाते हैं और इस जगह को एक पवित्र तीर्थ स्थल का रूप देते हैं। इस मंदिर का नाम इतिहास में भी दर्ज है और इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। जागेश्वर धाम में मुख्य तौर पर भगवान शिव, विष्णु, देवी शक्ति और सूर्य देवता की पूजा की जाती है।
मंदिर का इतिहास
जागेश्वर धाम मंदिर परिसर का मुख्य मंदिर ‘जागेश्वर महादेव’ है, जो शिव जी के बाल रूप को समर्पित है। एक ऊंची ढलान पर ‘वृद्ध जागेश्वर’ नाम का मंदिर है, जो बूढ़े शिव को समर्पित है। मान्यतानुसार, भगवान शिव यहां ध्यान करने आए थे। जब गांव की महिलाओं को इसका पता चला, तो वे अपने घर के काम छोड़कर उनके दर्शन के लिए पहुंच गईं। यह जानकर गांव के पुरुष नाराज हो गए और यह देखने आए कि कौन साधु है जिसने महिलाओं को आकर्षित कर लिया है। इस स्थिति को देखकर शिव ने खुद को एक बच्चे के रूप में बदल लिया। तभी से यहां शिव की बाल रूप में पूजा की जाती है।
मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती है। यहां के मंदिरों की नक्काशी प्राचीन भारतीय मंदिरों की तरह है, जो इसकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाती है।