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दिव्य सुधा > व्रत और त्योहार > नवरात्रि विशेष… नवरात्रि के छठे दिन करें माँ कात्यायनी की आराधना और व्रत कथा
व्रत और त्योहार

नवरात्रि विशेष… नवरात्रि के छठे दिन करें माँ कात्यायनी की आराधना और व्रत कथा

दिव्यसुधा
Last updated: April 4, 2025 11:46 am
दिव्यसुधा
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हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व है. इस दौरान मां भगवती के नौ रूपों के अराधना की जाती है. वहीं नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त चमकीला और दिव्य है। और माता की सवारी सिंह है। इनकी चार भुजाएं हैं जिसमे से देवी के दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। वहीं माता का बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प विराजमान है। माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों की प्राप्ति हो जाती है. इनके पूजन से शुक्र की स्थिति बेहतर होती है और वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर होती हैं.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए देवी भगवती की कठोर तपस्या की। महर्षि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और उन्हें वरदान दिया कि वह उनके घरउनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। एक बार जब महिषासुर नामक के एक दैत्य का अत्याचार बहुत बढ़ गया,  उसके अत्यचारों से तंग आकर सभी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी से सहयता मंगी. तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया. इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। माता रानी के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। तीन दिनों तक महर्षि की पूजा स्वीकार करने के बाद माता ने वहां से विदा ली और महिषासुर, शुंभ निशुंभ समेत कई राक्षसों के आतंक से संसार को मुक्त कराया. इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है.

कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा?
मां कात्यायनी की पूजा कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए अद्भुत मानी जाती है. मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है. वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है. अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है गोधूली वेला के समय पीले या लाल वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए. इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें. इनको शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है. मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे. साथ ही, प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होंगी. इसके बाद मां के समक्ष उनके मन्त्रों का जाप करें.

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