हिमाचल प्रदेश एक खूबसूरत पहाड़ी राज्य है, जो अपने प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन संरचनाओं तक कई चीजों के लिए जाना जाता है। लेकिन आज हम आपके लिए कुल्लू जिले के एक अनोखे और रहस्यमयी मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें लेकर आएं हैं, जिसका बहुत धार्मिक महत्व है। ये मंदिर बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है, यह मंदिर कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में स्थित है, जो 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है।
इस रहस्य को आज तक कोई नहीं समझ पाया है और बिजली गिरने की इस घटना के कारण शिव लिंगम के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। माना जाता है कि मंदिर के पुजारी हर टुकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें नाज, दाल के आटे और कुछ अनसाल्टेड मक्खन से बने पेस्ट के उपयोग से जोड़ते हैं। कुछ महीनों के बाद शिवलिंग पहले जैसा लगने लगता है।
यहाँ के लोगों के अनुसार, पीठासीन देवता क्षेत्र के निवासियों को हर बुराई से बचाना चाहते हैं, जिस वजह से बिजली शिवलिंग से टकरा जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि बिजली एक दिव्य आशीर्वाद है जिसमें विशेष शक्तियां होती हैं। यह भी माना जाता है कि देवता स्थानीय लोगों का भी बचाव करते हैं।
कहते है कि एक बार कुल्लू की घाटी में कुलंत नाम का एक राक्षस रहता था। एक दिन, उसने एक विशाल सर्प में अपना रूप बदल दिया और पूरे गांव में रेंगते हुए लाहौल-स्पीति के मथन गांव पहुंच गया। ऐसा करने के लिए, उन्होंने ब्यास नदी के प्रवाह को रोकने की कोशिश की, जिस वजह से गांव में बाढ़ आ गई थी। भगवान शिव राक्षस को देख रहे थे, गुस्से में उन्होंने उसके साथ युद्ध करना शुरू कर दिया। शिव द्वारा राक्षस का वध करने के बाद और वह सांप को तुरंत मरने के बाद, वे एक विशाल पर्वत में बदल गया, जिससे इस शहर का नाम कुल्लू पड़ गया।
स्थानीय लोगो का मानना है कि महादेव कुलंत को हराने के बाद इंद्र के पास गए और कहा की हर बारह साल में वे पहाड़ पर बिजली के झटके मारे। यहाँ के लोगो की माने तो महादेव नहीं चाहते थे की उनके भक्तों की बिजली से नुकसान हो, इसलिए हर बारह साल बाद गिरने वाली बिजली सीधे शिवलिंग पर गिरती है भगवान शिव स्वयं पर प्रहार करते है इस प्रकार मंदिर का नाम ‘बिजली महादेव’ पड़ गया।
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