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दिव्य सुधा > व्रत और त्योहार > योगिनी एकादशी 2025: व्रत तिथि, पूजा विधि, महत्व और उपाय
व्रत और त्योहार

योगिनी एकादशी 2025: व्रत तिथि, पूजा विधि, महत्व और उपाय

दिव्यसुधा
Last updated: June 19, 2025 1:20 pm
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हर साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह तिथि 21 जून को पड़ रही है। इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और यह माना जाता है कि व्रत रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और यह तिथि 22 जून को सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। इस एकादशी व्रत का पारण 22 जून को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट के बीच किया जाएगा। व्रतधारी इस समय के दौरान व्रत खोल सकते हैं और भगवान विष्णु को भोग अर्पित कर व्रत का समापन कर सकते हैं।

योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। भगवान विष्णु को फल, फूल अर्पित करके गुड़ और चने का प्रसाद भी चढ़ाएं। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा से भगवान विष्णु आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगे, वहीं माता लक्ष्मी धन और समृद्धि का आशीर्वाद देंगी।

तुलसी से जुड़े करें ये उपाय

योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। तुलसी के सामने दीपक और धूप जलाएं, तुलसी मंत्रों का जाप करें और तुलसी की सात बार परिक्रमा करें। यह शुभ और फलदायी माना जाता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित भोग में तुलसी दल का उपयोग जरूर करें, इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। पूजन या जाप में तुलसी माला का प्रयोग करना भी शुभ होता है। यदि घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो इस दिन नया पौधा लाना बहुत शुभ माना जाता है, जिससे विष्णु जी और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है। योगिनी एकादशी के दिन तुलसी माता को 16 श्रृंगार अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।

महत्व

जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है और यमदूतों के स्थान पर देवदूत उन्हें स्वर्ग की ओर ले जाते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है, जिससे जीवन सफल होता है और स्वर्ग में सम्मानजनक स्थान प्राप्त होता है।

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