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दिव्य सुधा > व्रत और त्योहार > वृषभ संक्रांति 2025: इस शुभ मुहूर्त में करें स्नान-दान, जानें पूजा विधि और धार्मिक महत्व
व्रत और त्योहार

वृषभ संक्रांति 2025: इस शुभ मुहूर्त में करें स्नान-दान, जानें पूजा विधि और धार्मिक महत्व

दिव्यसुधा
Last updated: May 14, 2025 10:33 am
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Written By : Ekta Mishra

हिंदू धर्म में वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, और इस बार यह 14 मई को है। इसी दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलते हैं। अभी सूर्य मेष राशि में हैं और 14 मई को वे वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस परिवर्तन का असर सभी राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिष के अनुसार, वृषभ संक्रांति के दिन वृद्धि योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में स्नान, ध्यान, पूजा, जप, तप और दान करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। इस बार वृषभ संक्रांति का दिन और भी खास है क्योंकि उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अश्लेषा नक्षत्र, रवि योग और पुष्य नक्षत्र भी बन रहे हैं। सूर्य देव के वृषभ राशि में प्रवेश करने के साथ ही संक्रांति का पुण्य काल शुरू हो जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। स्नान के बाद भगवान सूर्य की पूजा करें और सूर्य से जुड़ी वस्तुओं जैसे गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, तांबे के बर्तन आदि का दान करें। इससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में शुभता आती है।

शुभ मुहूर्त

इस साल वृषभ संक्रांति 14 मई, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव शाम 6 बजकर 4 मिनट पर शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश करेंगे। यही समय वृषभ संक्रांति का मुख्य क्षण माना जाएगा। 14 मई को वृषभ संक्रांति पर कुल 7 घंटे 14 मिनट का पुण्यकाल रहेगा। यह पुण्यकाल सुबह 10 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 4 मिनट तक चलेगा। इस दिन का महा पुण्यकाल दोपहर 3 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। इस विशेष समय में स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।

ऐसे करें सूर्य देव की पूजा

वृषभ संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल चंदन तथा लाल फूल डालें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को स्मरण करते हुए उस जल से अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। फिर सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद घी या कपूर का दीपक जलाकर सूर्य देव की आरती करें। पूजा के अंत में मन की इच्छाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करें। इस दिन तांबे के बर्तन, लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, घी, मिश्री, लाल फल, पानी के बर्तन, छाता, चप्पल जैसी चीजें जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

वृषभ संक्रांति का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति का दिन अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र, धन या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व होता है। इस दिन प्रातःकाल स्नान कर के पवित्र भाव से सूर्य देव को जल अर्पित करने से जीवन की अनेक समस्याएं समाप्त होती हैं और घर में धन, वैभव और शांति का आगमन होता है।

मान्यता है कि संक्रांति के दिन जो भी पुण्य कर्म किए जाते हैं, उनका फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है। इस दिन विशेष रूप से गौदान यानी गाय का दान करने को सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि वृषभ संक्रांति के दिन गौदान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस दिन किया गया दान, तप और जप विशेष फलदायी होता है और इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है

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