वट सावित्री व्रत बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जिसे पूरी श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए करना चाहिए। यदि इस व्रत के दौरान छोटी-छोटी गलतियां हो जाएं, तो इसका पुण्य अधूरा रह सकता है। इस दिन काले या सफेद जैसे रंग के वस्त्र धारण करने से बचना चाहिए और पूजा करते समय मन को शांत और शुद्ध रखना चाहिए। व्रत के दिन झूठ बोलना, किसी से झगड़ा करना या बुरा सोचने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है। बिना विधिवत पूजा किए व्रत तोड़ना भी ठीक नहीं होता। इसके अलावा, व्रत को केवल एक परंपरा न समझें, बल्कि इसे पूरी आस्था और भक्ति के साथ करें। आइए वट सावित्री व्रत के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं।
क्या है महत्व वट सावित्री व्रत का ?
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत देवी सावित्री की उस दृढ़ निष्ठा और शक्ति की याद दिलाता है, जब उन्होंने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, क्योंकि इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुखमय दांपत्य जीवन और पूरे परिवार की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।
वट सावित्री व्रत में क्या करें
वट सावित्री व्रत में व्रती महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए, क्योंकि यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लाल, पीला और हरा रंग शुभ होता है, इसलिए लाल या पीली साड़ी, हरी चूड़ियां और लाल बिंदी पहनना अच्छा माना जाता है। वट वृक्ष की पूजा करते समय उसे कच्चे सूत से सात बार परिक्रमा करते हुए बांधना चाहिए और पूजा के बाद सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद लेना चाहिए। पूजा के दौरान सावित्री और सत्यवान की कथा जरूर सुननी चाहिए क्योंकि इससे व्रत का पूर्ण फल मिलता है। व्रत समाप्त करते समय भीगे हुए चने खाकर पारण करना शुभ माना जाता है।
वट सावित्री व्रत में न करें ये गलतियां
- वट सावित्री व्रत के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि व्रत का पूरा फल मिल सके।
- इस दिन काले, नीले या सफेद रंग के कपड़े, चूड़ियां या बिंदी पहनने से बचना चाहिए और शुभ रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए।
- झूठ बोलना, किसी को अपशब्द कहना या अपमान करना इस व्रत की पवित्रता को भंग कर सकता है।
- मन को शांत और शुद्ध रखना जरूरी है, इसलिए क्रोध, ईर्ष्या या द्वेष जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहें।
- व्रत का समापन तभी करें जब पूजा पूरी हो जाए, बिना पूजा के व्रत तोड़ना अशुभ होता है। इसके अलावा, इस दिन मांस, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए।