वैदिक ज्योतिष में शनि देव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता माना गया है। कहा जाता है कि इंसान जैसे कर्म करता है, शनि देव उसे वैसा ही फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की दशा या साढ़ेसाती चल रही हो, तो शनि देव की पूजा और दर्शन से उसका प्रभाव कम हो सकता है। आज हम आपको शनि देव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां दर्शन कर लेने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है। यह इस क्षेत्र का प्रसिद्ध शनिधाम मंदिर है जिसे शनि तीर्थ क्षेत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां श्री शनि देव की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित है, जो अष्टधातु से निर्मित है। यह विशाल और भव्य प्रतिमा 31 मई 2003 को जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी माधवश्रम जी के करकमलों द्वारा अनावरण कर स्थापित की गई थी। यह प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र है। मंदिर परिसर में एक खास बात यह भी है कि यहां भगवान शनि की प्राकृतिक चट्टान से बनी एक प्राचीन मूर्ति भी विराजमान है, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर शनिवार को यहां हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और शनि देव से अपने कष्टों के निवारण की प्रार्थना करते हैं।
बताया जाता हैं कि इस मूर्ति को स्थापित करने से पहले सौ करोड़ और बत्तीस लाख बार शनि मंत्रों का जाप किया गया था। इस मंदिर में आने वाले भक्तगण शनि देव का तेल से अभिषेक और पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस प्रकार पूजन करने से सारी परेशानी व शनि की दशा का निवारण हो जाता है। यह यहां शनि की सबसे ऊंची प्रतिमा के अलावा अन्य देवी-देवताओं की आकर्षक प्रतिमाएं भी स्थापित हैं । इस मंदिर में उत्तर और दक्षिण दोनों ओर शनि प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिनमें शनि महाराज जी अपनी विभिन्न सवारियों पर सवार हैं। एक प्रतिमा में शनिदेव गिद्ध पर और दूसरे में भैंस पर सवार हैं, जिनके दर्शन कर सकते हैं।
इस मंदिर में हर शनिवार और शनि अमावस्या को भगवान शनि को शांत करने के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। शनिधाम मंदिर में शनि देव की दो मूर्तियों के दाईं ओर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा दक्षिण दिशा की ओर मुख किए हुए है। हनुमान जी की इस मूर्ति के पास ही एक आहुति कुंड है, जिसमें यज्ञ और हवन किए जाते हैं। इस कुंड के दक्षिण दिशा में नवग्रहों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।
मंदिर में भक्तों के लिए स्नान की विशेष व्यवस्था भी है। यहां लोग पहले स्नान करते हैं और फिर गीले कपड़े या लाल लुंगी पहनकर शनि देव की पूजा और तेलाभिषेक करते हैं। हर मंगलवार को विशेष पूजा होती है जिसमें शनि देव, हनुमान जी और मां जगदंबा की पूजा एक साथ की जाती है।