हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का व्रत मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और सोलह श्रृंगार कर व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। मान्यता है कि इस दिन अप्सराओं की पूजा करने से सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
2025 में कब है रंभा तीज
इस साल रंभा तीज का पर्व 29 मई 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं श्रद्धा और भक्ति से देवी रंभा, माता लक्ष्मी, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
रंभा तीज व्रत की पूजा विधि
व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
सोलह श्रृंगार करें और श्रद्धा से व्रत का संकल्प लें।
पूजा के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर रंभा देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और फिर देवी के सामने घी का दीपक जलाएं।
पूजा में लाल फूल, मौसमी फल, काली चूड़ियां, पायल, आलता और इत्र अर्पित करें।
रंभा तीज की कथा
रंभा तीज का एक अत्यंत दिव्य और अलौकिक कथा पर्व है। यह कथा समुद्र मंथन की घटना से संबंधित है। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब उसमें से 14 अनमोल रत्न निकले। इन्हीं में से एक थीं अप्सरा रंभा। रंभा बेहद सुंदर, मीठा बोलने वाली और नृत्य-कला में निपुण थीं। वे अप्सराओं की रानी मानी जाती थीं। उनकी सुंदरता देखकर देवता और असुर दोनों उन्हें अपने साथ रखना चाहते थे, लेकिन रंभा ने किसी को नहीं चुना। उन्होंने कहा कि वे किसी की वस्तु नहीं हैं और केवल धर्म, सत्य और आत्मसम्मान के रास्ते पर चलेंगी। उनका यह फैसला नारी-सम्मान और आत्मबल की मिसाल बन गया। इसी कारण, रंभा तीज का पर्व महिलाएं सौभाग्य, सुंदर वैवाहिक जीवन और आत्मसम्मान के लिए श्रद्धा से मनाती हैं।