Written by : Ekta Mishra
हिंदू धर्म में नारियल का उपयोग शुभ माना जाता है। किसी भी पूजा या धार्मिक कार्य में इसे चढ़ाना या फोड़ना एक परंपरा है। नारियल को ‘श्रीफल’ कहा जाता है, क्योंकि इसमें धार्मिक महत्व के साथ-साथ औषधीय गुण भी होते हैं। माना जाता है कि बिना गणेश और लक्ष्मी के आशीर्वाद के कोई पूजा पूरी नहीं होती। पूजा में गणेश जी की प्रतीक रूप में सुपारी और लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए नारियल अर्पित किया जाता है। इसलिए हर शुभ कार्य में नारियल का विशेष स्थान होता है।
नारियल को सभी फलों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। आदिकाल से ही हिंदू धर्म में हर शुभ काम में इसका उपयोग होता आ रहा है। माना जाता है कि नारियल के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। शास्त्रों में भी नारियल का उल्लेख मिलता है। एक मान्यता के अनुसार जब भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, तब वे अपने साथ माता लक्ष्मी, नारियल का पेड़ और कामधेनु गाय को भी पृथ्वी पर लेकर आए थे। इसलिए नारियल को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है।
तीनों देवों का नारियल पर होता है वास
नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों देवताओं का वास माना जाता है। नारियल पर जो तीन आंखें बनी होती हैं, उनकी तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र से की जाती है। इसी कारण नारियल को बहुत ही शुभ माना जाता है और पूजा-पाठ में इसका विशेष महत्व होता है। राम-सीता और शिव-पार्वती जैसे सभी पवित्र विवाहों में भी कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
हर शुभ काम में नारियल का प्रयोग
नारियल का उपयोग सभी धार्मिक पूजा और अनुष्ठानों में किया जाता है। इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में नारियल को “श्रीफल” कहा जाता है और यह भगवान विष्णु का प्रिय फल माना जाता है। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा में नारियल चढ़ाया जाता है। पूजा के बाद यही नारियल प्रसाद के रूप में सभी भक्तों को बांटा जाता है, जिसे शुभ और पवित्र माना जाता है।
मांगलिक कार्य में नारियल का महत्व
नारियल को श्रीफल कहा जाता है और यह भगवान विष्णु का प्रिय फल माना जाता है। इसकी सख्त बाहरी सतह अहंकार का प्रतीक होती है, जबकि अंदर का सफेद हिस्सा शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है। पूजा में नारियल फोड़ने का अर्थ है कि हम अपने अहंकार को त्यागकर भगवान के चरणों में समर्पित करते हैं। इसलिए इसे शुभ माना जाता है और हर धार्मिक कार्य में इसका उपयोग किया जाता है।