वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजन कक्ष में केवल भगवान और इष्टदेवों की प्रतिमा या चित्र ही रखने चाहिए। पूर्वजों के चित्र इस स्थान पर नहीं रखने चाहिए क्योंकि वे मृत आत्माओं के प्रतीक होते हैं, जिससे पूजा स्थल की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित हो सकती है। ऐसा करने से मानसिक अशांति, नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं। पूर्वजों के चित्र रखने के लिए घर की दक्षिण दिशा को उपयुक्त माना गया है। इन्हें पूजन कक्ष के बजाय स्मृति स्थल या किसी शांत स्थान पर लगाना बेहतर होता है ताकि घर में शांति और सकारात्मक वातावरण बना रहे।
पूजा स्थल एक पवित्र और शांत स्थान होता है, जहां केवल भगवान, देवी-देवता, यंत्र और पवित्र प्रतीक रखे जाने चाहिए। यहां का वातावरण सात्विक और दिव्य होना चाहिए। पूर्वजों या मृत व्यक्तियों के चित्र अतीत की याद दिलाते हैं और उन्हें देखकर मन में दुःख या अफसोस के भाव आ सकते हैं। इससे पूजा का मन भटकता है और मानसिक अशांति हो सकती है। देवताओं की सकारात्मक ऊर्जा और मृतात्माओं की स्मृति से जुड़ी ऊर्जा एक-दूसरे से मेल नहीं खाती, जिससे ऊर्जा का टकराव होता है। यह पूजा में विघ्न और वास्तु दोष भी पैदा कर सकता है। इसलिए पूर्वजों के चित्र पूजन कक्ष में नहीं रखने चाहिए।
कहां लगाएं पूर्वजों का चित्र
घर में मृत पूर्वजों के चित्र हमेशा नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में ही लगाने चाहिए। इनका चित्र पूजा घर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे घर में आर्थिक समस्याएं, विवाह में देरी और पारिवारिक तालमेल में कमी आ सकती है। मृत पूर्वजों की पूजा उनके श्राद्ध और मृत्यु तिथि पर विधि-विधान से करनी चाहिए। वे हमारे सम्मान और श्रद्धा के पात्र होते हैं, लेकिन उनकी जगह भगवान या इष्टदेवता की नहीं हो सकती। पूर्वज पूजनीय हैं, पर उन्हें ईश्वर के स्थान पर नहीं रखा जा सकता।
ध्यान देने योग्य बातें
- खुद की तस्वीर की पूजा नहीं करनी चाहिए और न ही उस पर माला चढ़ानी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति के पतन की संभावना बढ़ती है। शयन कक्ष में पूजा घर नहीं बनाना चाहिए और न ही वहां देवी-देवताओं के चित्र लगाने चाहिए, क्योंकि यह वास्तु दोष पैदा करता है।
- घर में रोते हुए व्यक्ति, युद्ध के दृश्य, डूबता सूरज या जहाज, ठहरा हुआ पानी, और डरावने जानवरों के चित्र नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक भावनाएं जैसे उदासी, निराशा और अकेलापन लाते हैं।
- घर में बहुत अधिक देवी-देवताओं, पूर्वजों के चित्र, मूर्तियां या धार्मिक कैलेंडर हर जगह नहीं लगाने चाहिए। भिखारी, बुजुर्ग या रोते हुए बच्चों के चित्र भी न लगाएं, क्योंकि ये दुःख, बीमारी और गरीबी का प्रतीक होते हैं। इसके बजाय ऐसे चित्र लगाएं जो सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली को दर्शाते हों।