भारत में काली मां को समर्पित कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन कोलकाता में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है कि वहां मां काली जीवित अवस्था में विराजमान हैं। यह मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है और इसे “जॉय मां शामसुंदरी जिबंता काली मंदिर” कहा जाता है। इस मंदिर को लेकर कई चमत्कारिक कहानियां प्रचलित हैं। भक्तों का मानना है कि यहां मां काली साक्षात जीवित रूप में उपस्थित हैं और उनकी उपस्थिति का अनुभव भक्तों को मंदिर में प्रवेश करते ही हो जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। मंदिर का रहस्य और चमत्कार जानकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है।
मंदिर में आज भी भ्रमण करती है मां काली
कोलकाता के मां शामसुंदरी जिबंता काली मंदिर को लेकर कई रहस्यमयी बातें प्रचलित हैं। स्थानीय लोगों और पुजारियों के अनुसार, हर रात मां काली मंदिर के अंदर घूमती हैं। कई लोगों का दावा है कि रात के समय मंदिर से पायल की आवाजें आती हैं, जैसे मां खुद चल रही हों। पुजारियों का कहना है कि जब सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो मां काली के चरणों में धूल और फूल चिपके हुए मिलते हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि मां रात में चलती हैं। भक्तों का यह भी मानना है कि जब कोई भक्त मां की मूर्ति के सामने रोता है, तो मूर्ति का भाव भी दयालु और करुणा से भर जाता है, जैसे मां अपने भक्तों का दुख देखकर खुद भी दुखी हो रही हों।
कच्चे चावल और केले का लगता है भोग
कोलकाता के मां शामसुंदरी जिबंता काली मंदिर में भक्त मां काली को प्रसाद में कच्चे चावल और केले चढ़ाते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कहानी के अनुसार, एक दिन एक छोटी बच्ची ने मंदिर के एक पुरोहित से कच्चे चावल और केले मांगे। पुरोहित ने उसे देने से मना कर दिया। जब वह पूजा के लिए मंदिर पहुंचा, तो देखा कि मां काली की मूर्ति गायब है। तभी वही छोटी बच्ची फिर से आई और वही चीजें मांगने लगी। तब से यह माना जाने लगा कि वह बच्ची स्वयं मां काली थीं। तभी से भक्त यहां कच्चे चावल और केले का प्रसाद चढ़ाते हैं, जिससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।