काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है और यह गंगा नदी के किनारे बना हुआ है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू धर्म में सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ या विश्वेश्वर कहा जाता है। हजारों सालों से शिव भक्त यहां आकर पूजा करते हैं। मान्यता है कि अगर कोई श्रद्धालु सच्चे मन से पूजा करे और गंगा में स्नान करे, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर साल भारत और विदेशों से लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। पुराने समय में वाराणसी को काशी कहा जाता था, इसलिए इस मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है।
क्या आप जानते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर एक और भी है जो मध्य प्रदेश के महेश्वर किले में स्थित है? इसे अहिल्याबाई होल्कर ने 1786 में नर्मदा नदी के किनारे बनवाया था। यह मंदिर अपनी खूबसूरती, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है, जहां जाकर मन को सुकून मिलता है।
महेश्वर का काशी विश्वनाथ मंदिर की अनोखी खासियत
स्थानीय मान्यता के अनुसार, महेश्वर के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग पहले वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिष्ठित था, लेकिन संयोगवश यह यहां विराजमान हो गया। इसी कारण इसका नाम भी काशी विश्वनाथ पड़ गया। ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग आध्यात्मिक रूप से वाराणसी के ज्योतिर्लिंग जितना ही शक्तिशाली है। यदि आप किसी कारणवश बनारस नहीं जा सकते, तो यहां आकर भी दर्शन-पूजन कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
कैसी है मंदिर की बनावट
इस मंदिर में पत्थर से बने 18 खंभों वाला सभा मंडप है, जिसकी बनावट वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से मिलती-जुलती है। एक दिलचस्प मान्यता है कि यहां की नंदी रात में कहीं चली जाती थी और सुबह लौटती थी, इसलिए उसके चारों ओर जालीनुमा घेरा बना दिया गया। महाशिवरात्रि और सावन में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है।