शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या को हुआ था और इसी दिन शनि जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। शनिदेव को सूर्य देव का पुत्र और कर्मों के अनुसार फल देने वाला देवता माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
शनि जयंती 2025 में 27 मई मंगलवार को मनाई जाएगी। यह तिथि ज्येष्ठ मास की अमावस्या को पड़ती है। अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 26 मई 2025 को 12:11 बजे होगा और इसकी समाप्ति 27 मई 2025 को 08:31 बजे होगी। शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के मंदिर में दीपक जलाएं। इसके बाद शनि मंदिर जाकर शनिदेव को सरसों का तेल और फूल चढ़ाएं। शनि चालीसा का पाठ करें और चाहें तो व्रत भी रख सकते हैं। इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
शनिदेव की कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्यदेव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ था। उनके तीन संतान थे – मनु, यमराज और यमुना। संज्ञा सूर्य के तेज से परेशान थीं, तो उन्होंने अपने पिता से इस परेशनी के बारे में बताया। लेकिन पिता ने समझाया कि एक पत्नी को पति की सेवा भावना से रहना चाहिए। इसके बाद संज्ञा ने तप करके अपनी छाया बनाई, जिसका नाम संवर्णा रखा और खुद तपस्या के लिए चली गईं। सूर्य और संवर्णा से शनिदेव का जन्म हुआ। शनिदेव का रंग बहुत श्याम था। जब सूर्यदेव को पता चला कि संवर्णा असली संज्ञा नहीं हैं, तो उन्होंने शनिदेव को अपना पुत्र मानने से मना कर दिया। इससे शनिदेव को बहुत दुख हुआ और क्रोध में उनकी दृष्टि सूर्य पर पड़ गई, जिससे सूर्य काले हो गए और संसार में अंधकार छा गया। सभी देवी-देवता परेशान होकर भगवान शिव के पास गए। तब शिवजी ने सूर्यदेव को संवर्णा से माफी मांगने को कहा। सूर्यदेव ने माफी मांगी और शनिदेव का क्रोध शांत हुआ। इसके बाद सूर्यदेव फिर से अपने तेजस्वी रूप में लौट आए और धरती पर फिर से प्रकाश फैल गया।