ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक है। यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता और आस्था के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके कई रहस्य आज भी लोगों को चकित कर देते हैं। इन्हीं रहस्यों में से एक है इस मंदिर की परछाई का न दिखना। माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई कभी नजर नहीं आती। दिन के किसी भी समय, किसी भी दिशा से देखने पर भी इसकी छाया जमीन पर नहीं दिखाई देती। यह बात वैज्ञानिकों के लिए भी आज तक रहस्य बनी हुई है और कोई स्पष्ट कारण नहीं ढूंढा जा सका है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भगवान की विशेष महिमा है। कहा जाता है कि जब से मंदिर का निर्माण हुआ है, तब से आज तक किसी ने भी इसकी छाया नहीं देखी। लोग इसे एक दिव्य चमत्कार मानते हैं। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। रोज़ाना लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। मंदिर का यह रहस्य भक्तों की श्रद्धा को और भी मजबूत करता है और इसे भारत के सबसे रहस्यमय धार्मिक स्थलों में शामिल करता है।
दैवीय चमत्कार मानते हैं लोग
जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई न दिखने के पीछे वैज्ञानिकों का मानना है कि मंदिर की बनावट ऐसी है कि सूर्य की किरणें सीधे पड़ती हैं और छाया जमीन तक नहीं पहुंच पाती। इसलिए परछाई नजर नहीं आती। वहीं कुछ लोग इसे भगवान की दैवीय शक्ति और चमत्कार मानते हैं। यह रहस्य आज भी भक्तों और वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है।
क्यों नहीं दिखाई देती परछाई
पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी अनोखी और अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसी विशेष वास्तु संरचना के कारण इस मंदिर की परछाई कभी नजर नहीं आती। मंदिर का स्थान और डिजाइन इस तरह से बनाया गया है कि सूर्य की किरणें सीधे मंदिर पर पड़ती हैं और जब वे लौटती हैं तो परछाई मंदिर की दीवारों पर ही बनती है, जमीन पर नहीं। यह रहस्य इसे और भी खास बनाता है और लोग इसे दैवीय चमत्कार भी मानते हैं।
जगन्नाथ पुरी की परछाई तो बनती है, लेकिन दिखाई नहीं देती
जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई वास्तव में बनती है, लेकिन वह मंदिर की विशेष बनावट के कारण जमीन तक नहीं पहुंचती। सूर्य की किरणें मंदिर से टकराकर उसकी दीवारों पर ही परछाई बना देती हैं, जिससे वह किसी को नजर नहीं आती। इसी कारण लोग मानते हैं कि मंदिर की परछाई नहीं बनती। यह अद्भुत वास्तुकला का एक ऐसा उदाहरण है, जो विज्ञान से परे लगता है।