पुरी का जगन्नाथ मंदिर केवल आस्था का नहीं, बल्कि परंपराओं और रहस्यों का भी केंद्र है। हर साल यहां की रथ यात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं, लेकिन अविवाहित प्रेमी जोड़ों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती। इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है कि राधारानी ने भगवान कृष्ण को श्राप दिया था, जिसके चलते यह परंपरा आज भी निभाई जाती है। यह मंदिर कई ऐसे रहस्यों से जुड़ा है जो विज्ञान को भी हैरान कर देते हैं।
ओडिशा के समुद्र तट पर बसे पुरी शहर में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर आस्था, परंपराओं और सनातन संस्कृति का अनोखा संगम है। हर साल यहां जगन्नाथ रथ यात्रा होती है, जो केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून 2025 से शुरू हो रही है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होने पुरी आएंगे।
रथ यात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरी धार्मिक भावना है। इसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भव्य रथों में सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं। यह यात्रा आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। लेकिन इसी मंदिर से जुड़ी एक खास परंपरा है कि अविवाहित प्रेमी जोड़ों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती, जो अक्सर चर्चा में रहती है।
अविवाहित जोड़ों का प्रवेश है वर्जित
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित प्रेमी जोड़ों का प्रवेश वर्जित है, और यह परंपरा एक पौराणिक कथा से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार राधारानी भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ रूप के दर्शन के लिए पुरी आईं, लेकिन पुजारियों ने उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया क्योंकि वे कृष्ण की पत्नी नहीं, बल्कि प्रेमिका थीं। इस अपमान से आहत होकर राधारानी ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि जो भी अविवाहित प्रेमी जोड़ा मंदिर में प्रवेश करेगा, उसे अपने प्रेम में सफलता नहीं मिलेगी। तभी से यह मान्यता बनी हुई है और मंदिर प्रशासन इस परंपरा का सख्ती से पालन करता है। यह कथा आज भी श्रद्धालुओं के बीच आस्था का विषय है।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित प्रेमी जोड़ों का प्रवेश एक पौराणिक श्राप के कारण वर्जित है। यहां तक कि वे जोड़े भी, जिनकी शादी तय हो चुकी हो लेकिन विवाह नहीं हुआ हो, मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। यह नियम प्रेम के खिलाफ नहीं है, बल्कि मंदिर की पवित्रता और धार्मिक मर्यादा बनाए रखने के लिए है। मंदिर के सेवायत और प्रशासन श्रद्धालुओं से इस परंपरा के सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। भगवान श्रीकृष्ण प्रेम के प्रतीक हैं, फिर भी यह परंपरा उनकी आध्यात्मिक मर्यादा और धार्मिक अनुशासन का प्रतीक मानी जाती है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर, रहस्यों और चमत्कारों का अद्भुत संगम
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में कई रहस्य हैं। मंदिर के अंदर जाने पर समुद्र की लहरों की आवाज बंद हो जाती है, और बाहर आते ही फिर से सुनाई देती है। यह वैज्ञानिक रूप से समझ नहीं पाया है। मंदिर की छाया भी दिन में कभी जमीन पर नहीं पड़ती, चाहे सूरज की दिशा कोई भी हो। ये अनोखी बातें इसे सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि चमत्कारिक भी बनाती हैं।