आषाढ़ अमावस्या 2025 इस वर्ष 25 जून, बुधवार को पड़ रही है। हिंदू पंचांग में आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को अत्यंत पुण्यदायी और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष माना गया है। यह केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि पितरों की आत्मा की शांति, ग्रहों की प्रतिकूलता से मुक्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का शुभ अवसर है। इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ, तर्पण और दान के साथ-साथ पवित्र पौधों का रोपण अत्यंत फलदायी माना गया है। शास्त्रों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि आषाढ़ अमावस्या पर इन पौधों को लगाने से पितृ कृपा प्राप्त होती है और कई जन्मों तक पुण्य फल मिलता है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये पौधे और क्या है इनकी मान्यता?
क्यों महत्वपूर्ण है आषाढ़ अमावस्या का पौधारोपण?
यह दिन पितृ दोष शांति, ग्रह दोष निवारण और सात पीढ़ियों तक सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किए गए पौधारोपण से केवल पर्यावरण ही नहीं सुधरता, बल्कि जीवन में भी शुद्धता और सकारात्मकता का संचार होता है। मान्यता है यदि इस दिन नीम और पीपल का पौधा लगाया जाए तो ग्रह और पितृ दोषों से राहत मिलती है। ये पौधे धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टि से शक्तिशाली माने जाते हैं।
नीम का पौधा – राहु-शनि को शांत करने वाला औषधीय वृक्ष
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व:
- नीम को ‘सुरक्षा कवच’ माना जाता है जो जीवन को नकारात्मकता और रोगों से बचाता है।
- यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी कुंडली में राहु या शनि का प्रभाव प्रबल हो।
- नीम से जुड़ा पौधारोपण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को सुधारने में मदद करता है।
कैसे लगाएं नीम का पौधा:
- पौधा लगाने के लिए घर की दक्षिण दिशा या उत्तर-पश्चिम कोना शुभ माना जाता है।
- पौधारोपण के बाद गंगाजल चढ़ाएं और ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 11 बार जाप करें।
- नीम की पत्तियों को जल में डालकर स्नान करें, इससे केतु ग्रह का भी दुष्प्रभाव कम होता है।
पीपल का पौधा – पितृ दोष से मुक्ति दिलाने वाला देववृक्ष
धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति:
- पीपल को हिंदू धर्म में ‘देव वृक्ष’ माना गया है। यह त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वासस्थल होता है।
- जो लोग पितृ दोष, संतान बाधा, मानसिक अशांति या धन की अनिश्चितता से जूझ रहे हों, उनके लिए पीपल का पौधा लगाना अत्यंत लाभकारी है।
पीपल लगाते समय ध्यान रखें:
- पौधा मंदिर, गौशाला या किसी पवित्र स्थान पर लगाना श्रेष्ठ होता है।
- इसके नीचे दीपक जलाएं और “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का जप करें।
- पीपल के नीचे नियमित ध्यान और ध्यानपूर्वक जल अर्पण करने से आत्मिक शांति मिलती है और पितरों की कृपा बनी रहती है।
🕉 तर्पण, दान और पौधारोपण – तीनों से मिलती है पितृ कृपा शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या पर किया गया तर्पण, दान, और वृक्षारोपण सीधे पितरों को प्रसन्न करता है। कहा गया है कि—
“पितृभ्यः स्वधा नमः” — जब पौधों को जीवनदान मिलता है, तो पितरों को भी तृप्ति मिलती है।
इन कार्यों से पितृ दोष शांत होता है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सात पीढ़ियों तक सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है।
25 जून 2025: करें सकारात्मक शुरुआत
इस आषाढ़ अमावस्या 2025, केवल पूजा-पाठ तक सीमित न रहें —
अपनी आस्था को हरियाली के रूप में रोपित करें। नीम और पीपल जैसे ऊर्जावान पौधों को लगाकर आप धन, शांति और सुख के स्थायी स्रोत खोल सकते हैं।
छोटी-छोटी आस्थापूर्ण कोशिशें, कभी-कभी जीवन में बड़े चमत्कार कर जाती हैं। इस बार आषाढ़ अमावस्या पर प्रकृति के माध्यम से पुण्य अर्जित करें और पितृों का आशीर्वाद पाएं।
इस अवसर पर घर के पास या सार्वजनिक स्थानों पर वृक्षारोपण करते समय बच्चों को साथ लेकर जाएं — ताकि धर्म और पर्यावरण की शिक्षा साथ-साथ बढ़े।
नोट : यह लेख धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय परंपराओं पर आधारित है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले व्यक्तिगत आस्था और स्थानीय परंपराओं का विचार अवश्य करें।