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दिव्य सुधा > व्रत और त्योहार > जुलाई 2025 में भौम प्रदोष व्रत, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
व्रत और त्योहार

जुलाई 2025 में भौम प्रदोष व्रत, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिव्यसुधा
Last updated: July 7, 2025 11:39 am
दिव्यसुधा
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भौम प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है। मान्यता है कि यह व्रत संतान सुख, ऋण मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। व्रतधारी दिनभर उपवास रखता है और प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करता है। पूजा में बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल, धूप-दीप और शिव मंत्रों का जाप किया जाता है। जुलाई 2025 में यह व्रत किस दिन पड़ेगा, इसके लिए पंचांग के अनुसार तिथि और शुभ मुहूर्त जानना आवश्यक है।

भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

भौम प्रदोष व्रत 2025 में जुलाई माह में 8 जुलाई, मंगलवार को रखा जाएगा। यह व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ रहा है, जो विशेष रूप से भगवान शिव और मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन व्रत रखने से संतान सुख, ऋण मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:23 बजे से रात 9:24 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 7 जुलाई को रात 11:10 बजे होगी और इसका समापन 8 जुलाई को दोपहर 12:38 बजे तक होगा। इस अवधि में श्रद्धा और विधिपूर्वक भगवान शिव का पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व

  • भौम प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ और प्रभावशाली व्रत माना गया है। मंगल ग्रह का संबंध ऋण, कर्ज और रोगों से होता है, इसलिए इस दिन विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करने से कर्ज मुक्ति में सहायता मिलती है और जीवन की आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं।
  • यह व्रत रोगों से छुटकारा दिलाने और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए भी अति फलदायी माना जाता है। प्रदोष काल में शिव आराधना से समस्त दोषों का शमन होता है और जीवन में मानसिक शांति का वास होता है।
  • संतान सुख की कामना रखने वाले दंपत्तियों के लिए भी यह व्रत विशेष रूप से शुभफलदायक होता है। संकल्पपूर्वक व्रत करने और शिव मंत्रों का जाप करने से भक्तों को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करके भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन निर्जला या फलाहारी व्रत रखा जाता है। शाम को त्रयोदशी तिथि में शिवलिंग की पूजा करें। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें। भगवान शिव को बेल पत्र, अक्षत, धतूरा, भस्म और शमी पत्र अर्पित करें। दीपक और अगरबत्ती जलाएं। फिर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करें। प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें, भोग लगाएं और प्रसाद बांटें। रात्रि में भोजन न करें।

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