Written by : Ekta Mishra
रामायण की कहानियाँ बचपन से ही हमें सुनाई जाती हैं, क्योंकि इनमें भगवान राम का आदर्श जीवन बताया गया है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने हमेशा सत्य, धर्म, करुणा, दया और मर्यादा का पालन किया। उनका स्वभाव बचपन से ही शांत और विनम्र था। जीवन में अनेक कठिनाइयाँ आने के बावजूद उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ा। 14 वर्षों के वनवास में भी उन्होंने संयम और धैर्य बनाए रखा और धर्म के मार्ग पर चलते रहे। उन्होंने अपने माता-पिता, गुरु, पत्नी और प्रजा के प्रति हमेशा आदर और प्रेम दिखाया। उनके हर कार्य में नैतिकता और जिम्मेदारी झलकती थी। यही कारण है कि आज भी लोग उनके गुणों को अपनाने की प्रेरणा लेते हैं। श्रीराम का जीवन हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, हमें हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर ही चलना चाहिए।
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में प्रभु श्रीराम के जीवन के सभी पहलुओं का सुंदर वर्णन मिलता है। वे एक आदर्श पुत्र, भाई, पति और राजा के रूप में पूजनीय हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान राम को “राम” नाम किसने दिया? मान्यता है कि यह नाम प्रसिद्ध ऋषि वशिष्ठ ने रखा था, जो राजा दशरथ के कुलगुरु थे। जब अयोध्या में पुत्र जन्म की खुशी हुई, तो उन्होंने चारों राजकुमारों के नाम रखे, जिनमें राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न शामिल थे। “राम” नाम का अर्थ होता है—जो हृदय में रम जाए—और यह नाम उनके चरित्र को दर्शाता है।
ऐसे रखा गया भगवान राम का नाम
भगवान राम को “राम” नाम रघुकुल के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने दिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जन्म के समय उनका नाम दशरथ राघव रखा गया था। “राम” भगवान विष्णु का 394वां नाम माना जाता है। महर्षि वशिष्ठ के अनुसार, “राम” नाम दो बीजों—अग्नि बीज और अमृत बीज—से मिलकर बना है, जो मन को शक्ति और शांति प्रदान करता है। यही कारण है कि इस नाम का जाप आत्मिक बल बढ़ाता है। महर्षि वशिष्ठ ने ही भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के नाम भी रखे थे। ये सभी नाम भी उनके गुणों और चरित्र के अनुसार रखे गए थे।
श्रीराम के जीवन से सीखें ये बातें
धैर्य और साहस
भगवान राम ने अपने जीवन में धैर्य और साहस का परिचय दिया। उन्होंने सिखाया कि मुश्किल समय में भी हमें शांत और संयमित रहना चाहिए। चाहे कोई भी परिस्थिति हो, उन्होंने कभी अपने आदर्शों और मर्यादा को नहीं छोड़ा। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि धैर्य और संयम से ही हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
एक वचन
भगवान राम अपने वचन का पालन करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अपने वचन और कर्तव्य को निभाया। इसी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान को हमेशा अपने वचनों की कद्र करनी चाहिए। जब हम अपने वचन का सम्मान करते हैं, तो हम भगवान राम जैसे गुणों को अपने जीवन में ला सकते हैं।
मित्रता
प्रभु श्री राम ने जीवन में हर वर्ग और उम्र के लोगों से सच्ची मित्रता निभाई। उन्होंने निषादराज जैसे सामान्य वर्ग के व्यक्ति से भी गहरी दोस्ती की, जो आज भी एक मिसाल है। उनकी यह समानता और स्नेहभाव हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
सेवा भाव
भगवान राम ने वनवास के समय वनवासियों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया। उन्होंने सभी से प्रेम और सम्मान से व्यवहार किया। हमें भी उनसे प्रेरणा लेकर जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और समाज में सेवा भाव को अपनाना चाहिए। यही सच्ची भक्ति और मानवता है।