बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती क्यों नहीं होती? ये सवाल अक्सर लोगों के मन होता है, जानिए क्या वजह है जिसमें केवल साल में एक बार मंगला आरती का आयोजन बांके बिहारी मंदिर में किया जाता है। वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां प्रतिदिन या किसी खास पर्व पर मंदिर में भक्तों की अलग ही भीड़ देखने को मिलती है। वैसे तो इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं, लेकिन एक अनोखा सच जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा, कि हां ये तो हमने पहले कभी सोचा ही नहीं! हम बात कर रहे हैं, यहां होने वाली मंगला आरती की, जो इस मंदिर में कभी नहीं होती। जानकारी के लिए बता दें, ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में रोजाना सुबह मंगला आरती का आयोजन नहीं किया जाता। वैसे तो हर मंदिर में मंगला आरती होती है, लेकिन यहां क्यों नहीं होती? ये सवाल आप जरूर खुद से कर रहे होंगे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार –
एक बार कलकत्ता से बूढ़े ब्राह्मण श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए वृंदावन आये तो प्रभु से मिलने के बाद वहीं के हो गए। उन्होंने मंदिर के गोस्वामी जी से सेवा मांगी तो स्वामी जी ने कहा – बाबा! इस उम्र में आप क्या सेवा कर पाओगे? बाबा ने बहुत विनती की तो स्वामी जी ने श्री बिहारी जी की चौखट पर रात की चौकीदारी की सेवा लगा दी और कहा – बाबा! आपको यह ध्यान रखना है कि कोई चोर चकुटा मंदिर में प्रवेश न कर पाए। बाबा ने बड़े भाव से सेवा स्वीकार की। कई वर्ष बीत गये सेवा करते हुए। एक बार क्या देखते हैं कि बिहारी जी आधी रात को चल दिये सेवाकुंज की ओर, तो बाबा भी चल दिए उनके पीछे पीछे! सेवाकुंज के नजदीक पहुंचने पर बिहारी जी थक गए। उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो बाबा भी उनके पीछे थे। उन्होंने बाबा से कहा कि, मैं बहुत थक गया हूँ आप मुझे सेवाकुंज तक तो पहुंचा दो। बाबा श्री बांके बिहारी जी को अपने कंधों पर बैठाकर सेवाकुंज की चौखट पर ले गए। प्रभु ने बाबा से कहा – मुझे यहीं उतार दो और मेरा इंतजार करो। बाबा के मन में आया कि प्रभु इतनी रात में सेवाकुंज में क्या करने आयें हैं? जानने की इच्छा से उन्होंने आले से झांक कर देखा तो उन्हें दिव्य प्रकाश नज़र आया। उस प्रकाश में उन्होंने श्री बिहारी जी को श्री राधा जी संग रास करते हुए देखा। बाबा की हालत पागलों जैसी हो गई और गिर कर बेहोश हो गए। सुबह बिहारी जी ने बाबा को पुकारा और बाबा से कहा – बाबा! मुझे मंदिर तक नहीं ले जाओगे। बाबा ने बिहारी जी को सुबह चार बजे मंदिर में पहुंचाया और गोस्वामी जी से सारा वृत्तांत कहा।गोस्वामी जी मंगला आरती के लिए बिहारी जी को उठाने लगे तो बाबा ने उनके पांव पकड़ लिये और कहने लगे – मेरे गोविन्द अभी तो सोयें हैं!
कहते हैं कि उसी दिन से साल में जन्माष्टमी को छोड़कर कभी भी श्री बांके बिहारी जी की मंगला आरती नहीं हुई क्योंकि रात के वक्त बांके बिहारी निधिवन के राज मंदिर में गोपियों संग रास रचाने के लिए जाते हैं, जिसके बाद वे रात के तीसरे पहर (रात के 12 बजे से 3 तक के समय को तीसरा पहर कहते हैं) में ठाकुर जी मंदिर पहुंचते हैं, और मंदिर में ठाकुर जी की सेवा बाल रूप में होती है, इसी कारण से उन्हें सुबह देर से जगाया जाता है। यहां आरती की शुरुआत ठाकुर जी का श्रृंगार करके श्रृंगार आरती से होती है।
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और ब्रज वासियों के क्षेत्र में तो इसकी रौनक देखते ही बनती है। इसी दिन मंगला आरती का आयोजन किया जाता है। इस दिन आरती में सबसे ज्यादा भक्त शामिल होते हैं। जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे बांके बिहारी जी का अभिषेक किया जाता है, फिर इसके बाद मंगला आरती होती है। इस दिन ठाकुर जी निधिवन में रास रचाने के लिए नहीं जाते हैं।