Written by: Ekta Mishra
केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति में साक्षात भगवान शिव विराजते हैं। यह मूर्ति पंचमुखी डोली के रूप में है, जो पांच दिशाओं में निवास कर रहे शिव के विभिन्न रूपों का प्रतीक है। इस मूर्ति में शिव के पांच प्रमुख स्वरूप ईशान, तत्पुरूश, अघोर, वामदेव और सद्योजात दिखाए गए हैं। ये पांच रूप शिव के दिव्य और शक्तिशाली स्वरूपों को दर्शाते हैं, जो न केवल भगवान शिव के पंचाक्षर (ॐ नमः शिवाय) के प्रतीक हैं, बल्कि सभी भक्तों के लिए एक अमूल्य धार्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।
सोमवार को ओंकारेश्वर मंदिर से बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव मूर्ति को चल उत्सव डोली में विराजमान किया गया। इस दिव्य मूर्ति में भगवान शिव के पांच प्रमुख रूपों का दर्शन होता है, जो विभिन्न दिशाओं में होते हैं। मूर्ति के सिर की दिशा श्वेत वर्ण को दर्शाती है, जबकि पूर्व में सुवर्ण, दक्षिण में नीलवर्ण, पश्चिम में स्फटिक शुभ उज्जवल वर्ण और उत्तर में जपापुष्प या प्रवाल स्वरूप होते हैं। यह पांच रूप भगवान शिव के विविध रूपों का प्रतीक हैं, जो संसार के सभी रंगों और वर्णों की महत्ता को भी बयां करते हैं। यह मूर्ति न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शिव के सार्वभौमिक स्वरूप को दर्शाती है, जो पूरे ब्रह्मांड के विभिन्न रंगों और ऊर्जा के प्रतिनिधि हैं।
पंचमुखी मूर्ति भगवान आशुतोष की पांच क्रियाओं को भी दर्शाती है, जो क्रीड़ा, तपस्या, लोक संहार, अहंकार और ज्ञान हैं। इन क्रियाओं का मानव जीवन में विशेष महत्व है क्रीड़ा, तपस्या, लोक संहार, अहंकार, ज्ञान ये पांच क्रियाएं जीवन के हर पहलू को संतुलित करती हैं और हमें इन्हें समझकर जीवन में लागू करने का संदेश देती हैं।
पंचमुखी डोली यह बताती है कि भगवान आशुतोष जीवन के सभी तत्वों में मौजूद हैं। केदारनाथ के वयोवृद्ध तीर्थपुरोहित और बीकेटीसी के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती के अनुसार, पंचाक्षर “ॐ नम: शिवाय” के आधार पर पंचमुखी डोली में पांच महत्वपूर्ण तत्व होते हैं उत्तर में अकार, पश्चिम में उकार, दक्षिण में मकार, पूर्व में बिंदु, मध्य में नाद, इन तत्वों के माध्यम से पंचमुखी डोली भगवान शिव के सभी रूपों और उनके अद्वितीय शक्तियों को व्यक्त करती है, जो जीवन के हर पहलू में समाहित हैं।
त्रिपदा गायत्री का प्रकाट्य पंचमुखी मूर्ति से हुआ है। बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली के साथ चांदी की प्रभा भी धाम पहुंचती है, जिसे विशेष विधि-विधान से केदारनाथ के त्रिकोणीय लिंग के ऊपर स्थापित किया जाता है। यह चांदी की प्रभा भगवान के दिव्य रूप को और भी आकर्षक बनाती है, और भक्तों के लिए यह एक अत्यंत पवित्र और आस्थाभरी अनुभूति होती है। यह प्रक्रिया बाबा केदार के प्रति श्रद्धा और भक्ति की गहरी भावना को व्यक्त करती है, और यह दर्शाता है कि केदारनाथ धाम में भगवान शिव की उपस्थिति अत्यंत शुद्ध और दिव्य है।
चांदी की प्रभा के ऊपर नियमित पूजा का कार्य धाम के मुख्य पुजारी और वेदपाठी करते हैं। इनकी पूजा विधि के द्वारा, बाबा केदार के दिव्य रूप को भक्तों तक पहुँचाया जाता है। जब श्रद्धालु पंचमुखी मूर्ति के दर्शन करते हैं, तो उन्हें सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दर्शन न केवल आध्यात्मिक उन्नति का कारण बनते हैं, बल्कि जीवन में संतुलन और शांति भी प्रदान करते हैं।
यह विशेष पूजा और दर्शन भक्तों को भगवान शिव की आशीर्वाद से सजीव अनुभव कराती है, जिससे उनका जीवन पुण्य और शांति से परिपूर्ण हो जाता है।