कहा जाता है कि धन तभी सुखदायक होता है जब शरीर स्वस्थ हो। असली सुख तो निरोगी शरीर में ही होता है। अगर बार-बार बीमारियां परेशान कर रही हैं, तो इसका कारण घर का वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु शास्त्र और ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। अगर घर में बार-बार बीमारियां या मानसिक तनाव हो रहा हो, तो यह वास्तु दोष या ग्रहदशा के कारण हो सकता है। वास्तु में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करके और ग्रहों के अनुरूप उपाय अपनाकर रोग, शोक और बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
“पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख घर में माया” इस कहावत में जीवन का असली मतलब छिपा है। अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है। अगर शरीर स्वस्थ नहीं होगा, तो धन-सम्पत्ति और सुख-सुविधाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता। स्वस्थ शरीर से ही मन को शांति मिलती है और सच्चा सुख मिलता है। इसलिए घर में वास्तु सुधार करते समय केवल सुंदरता या धन बढ़ाने का लक्ष्य नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन बनाना चाहिए। जब घर की ऊर्जा संतुलित होती है, तब हमारा तन-मन भी स्वस्थ रहता है और लक्ष्मी स्थायी होती है। यदि किसी को लगातार स्वास्थ्य की समस्या हो, तो उसे अपनी ग्रह दशा की जांच ज्योतिषी से करानी चाहिए और घर के वास्तु दोष ठीक करवाने चाहिए। अगर वास्तु दोष बहुत ज्यादा हो, तो बेहतर होगा कि दूसरा घर तलाशा जाए, जिससे स्वास्थ्य में जल्दी सुधार हो।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए घर में कुछ बातों का ध्यान रखने योग्य बातें
घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में गड्ढे न हों।
घर का उत्तर हिस्सा दक्षिण-पूर्व से ऊंचा न हो।
रसोई दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पूर्व कोने में न हो।
आंगन चारों तरफ से नीचा न हो।
प्रवेश द्वार के सामने कूड़ा या गंदगी न जमा हो।
प्रवेश द्वार दक्षिण या पश्चिम दीवार पर न हो।
उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय न हो।
सोते समय सिर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर न हो।
बातचीत या भोजन करते समय दक्षिण या पश्चिम की तरफ न बैठें।
घर में आने वाला सूर्य का प्रकाश सामने के पेड़ या मकान आदि से बाधित न होता हो।
पूजा कक्ष में भगवान की मूर्ति पूर्व दिशा की ओर न हो।
घर के दरवाजे बिना आवाज के खुले और बंद हों।
पूजा घर में एक से अधिक एक ही देवता की अधिक प्रतिमा या चित्र न हों।
इन बातों से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।