चातुर्मास के पावन चार महीनों में दान का विशेष महत्व होता है। इस समय जब प्रकृति में तमसिक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, तब दान व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से बचाकर धर्म और पुण्य की ओर अग्रसर करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि संयम, नियम और सच्चे भाव से किया गया दान हजार यज्ञों से अधिक फलदायी होता है। चातुर्मास में विशेष रूप से अन्न, वस्त्र, गौ, छतरी, और जलपात्र का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अलावा दीपक, धार्मिक ग्रंथ और ब्राह्मणों-संतों की सेवा से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दान दरिद्रता, रोग, और बाधाओं को दूर कर श्रीहरि विष्णु की कृपा दिलाता है। इस चातुर्मास में सच्चे मन से दान करें और जीवन को सुख, समृद्धि और मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ाएं।
- पीला वस्त्र या धोती-कुर्ता
भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यंत प्रिय है क्योंकि यह रंग सात्त्विकता, ज्ञान और श्री लक्ष्मी की शुभ ऊर्जा का प्रतीक होता है। चातुर्मास में पीली धोती, साड़ी या पीले रंग का कुर्ता किसी ब्राह्मण, संत या जरूरतमंद व्यक्ति को दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। यह दान जहां विष्णु भगवान को प्रसन्न करता है, वहीं दाता के जीवन में वित्तीय स्थिरता, पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान भी बढ़ाता है। साथ ही, यह घर में शुभ ऊर्जा और स्थायी लक्ष्मी को आमंत्रित करता है। - चने की दाल और गुड़
चने की दाल और गुड़ का संयोजन पवित्रता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। चातुर्मास में इनका दान करना न केवल अन्नदान के पुण्य को दिलाता है, बल्कि यह आर्थिक परेशानियों से मुक्ति और भोजन के भंडार को भरने वाला दान है। विशेष रूप से गुरुवार के दिन जब इसे भगवान विष्णु के नाम पर दान किया जाता है, तो यह घर में दरिद्रता को दूर करता है और अन्न-संपन्नता बढ़ाता है। - तुलसी का पौधा
तुलसी को भगवान विष्णु की प्राणप्रिय माना गया है और इनकी पूजा बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है। चातुर्मास में तुलसी का पौधा लगाना या किसी को दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। यह पौधा न केवल वायुमंडल को शुद्ध करता है, बल्कि आरोग्य, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है। तुलसी का दान विष्णु भगवान तक शीघ्र पहुंचने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है। - शहद या गाय का घी
गाय का घी और शुद्ध शहद दोनों ही शरीर, मन और आत्मा के लिए पवित्र पोषण देने वाले पदार्थ हैं। जब इनका दान किसी ब्राह्मण, संत या मंदिर में किया जाता है, तो यह शारीरिक आरोग्य, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक तेज को बढ़ाता है। यह दान विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो बीमारियों, मानसिक तनाव या ग्रहबाधाओं से पीड़ित हैं। - धार्मिक पुस्तकें या जप माला
चातुर्मास का समय ज्ञान और साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इस समय भगवद गीता, विष्णु सहस्रनाम, नारायण कवच जैसी धार्मिक पुस्तकें या तुलसी, चंदन या रुद्राक्ष की जपमाला दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, भक्ति और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह दान व्यक्ति को सद्बुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
इन पवित्र वस्तुओं का दान कर आप भी इस चातुर्मास में श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुख, समृद्धि व शांति से भर सकते हैं।