आज जब पूरे देश में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है, तो यह मौका है उन दिव्य चिकित्सकों को याद करने का, जिनकी चिकित्सा से न केवल इंसानों बल्कि देवताओं ने भी स्वास्थ्य लाभ पाया। हम बात कर रहे हैं हिंदू धर्म के प्राचीनतम डॉक्टर अश्विनी कुमारों की।
कौन हैं अश्विनी कुमार?
अश्विनी कुमार कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि जुड़वा देवता हैं। इन्हें नासत्य और दस्त्र के नाम से भी जाना जाता है। दोनों भाइयों को हिंदू धर्म के शास्त्रों में देवताओं के वैद्य के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। पुराणों के अनुसार, इनकी उत्पत्ति सूर्य देव और माता संज्ञा से हुई थी।
जन्म की कथा: सूर्य और संज्ञा के पुत्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी संज्ञा के दो पुत्र हुए। चूंकि इनका जन्म एक घोड़ी के रूप में परिवर्तित संज्ञा से हुआ था, इसलिए इन्हें “अश्विनी कुमार” कहा गया। संस्कृत में “अश्व” का अर्थ घोड़ा होता है, और “कुमार” का अर्थ होता है पुत्र।
चिकित्सा विद्या में निपुणता
अश्विनी कुमारों को चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद, औषधि विद्या और शल्य चिकित्सा (सर्जरी) में अद्वितीय ज्ञान प्राप्त था। कहा जाता है कि उन्होंने प्रजापति दक्ष से चिकित्सा शास्त्र सीखा और आगे चलकर “अश्विनी कुमार संहिता” की रचना की।
देवताओं के रोग निवारक
कई पौराणिक घटनाओं में अश्विनी कुमारों ने देवताओं के गंभीर रोगों और जख्मों का इलाज किया। मृतप्राय देवताओं में प्राण फूंकना, कटा हुआ अंग जोड़ना, और असंभव रोगों का इलाज करना, इनके कौशल की पहचान है।
आयुर्वेद और मंत्र चिकित्सा की शुरुआत
ऐसा भी माना जाता है कि आयुर्वेद में मंत्रों द्वारा रोग निवारण की परंपरा भी अश्विनी कुमारों से शुरू हुई। इन्होंने महर्षि दधीचि से ब्रह्मविद्या का ज्ञान प्राप्त किया, और फिर इस ज्ञान को आयुर्वेद में समाहित किया।
भगवान धन्वंतरि से संबंध
अश्विनी कुमारों द्वारा संचित चिकित्सा ज्ञान बाद में भगवान धन्वंतरि को सौंपा गया, जिन्हें आयुर्वेद का जनक कहा जाता है।
पौराणिक कहानियों में अश्विनी कुमार
शशि कथा: एक कथा के अनुसार अश्विनी कुमारों ने चंद्रमा को तपेदिक (टीबी) जैसे रोग से ठीक किया था।
मद्र देश के राजा की कहानी: एक बार अश्विनी कुमारों ने एक राजा को मृत अवस्था से पुनर्जीवित किया।
प्रतीकात्मक महत्व
अश्विनी कुमार न सिर्फ देवताओं के वैद्य हैं, बल्कि वो जीवन ऊर्जा, युवावस्था, स्वास्थ्य, और उम्मीद के प्रतीक भी माने जाते हैं। इन्हें “प्रथम चिकित्सक” और “आयुर्वेद के आदि आचार्य” भी कहा जाता है।
डॉक्टर्स डे पर संदेश
आज जब हम आधुनिक डॉक्टर्स को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दे रहे हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि चिकित्सा सेवा की जड़ें हमारी संस्कृति में कितनी गहराई से बसी हुई हैं। अश्विनी कुमारों की यह कहानी हमें यही सिखाती है कि सेवा, करुणा और ज्ञान की विरासत कितनी प्राचीन और समृद्ध है।