कैंची धाम का स्थापना दिवस एक विशेष अवसर है जो आध्यात्मिक अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन उस पवित्र स्थल की स्थापना की खुशी और आस्था को दर्शाता है, जहां लोग शांति, श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए आते हैं। इस दिन विशेष पूजा-आराधना और आयोजन किए जाते हैं, जो कैंची धाम की आध्यात्मिक महत्ता को बढ़ाते हैं।
नीम करोली बाबा एक महान और चमत्कारी संत थे, जिनका जीवन आज भी करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और प्रेरणा का प्रतीक है। बहुत से लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। कहा जाता है कि केवल उनका नाम लेने मात्र से मन को शांति और आत्मा को नई ऊर्जा मिलती है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम आश्रम नीम करोली बाबा की साधना भूमि है। यह स्थान अत्यंत पवित्र, शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है।
कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा अलग-अलग वर्षों में 15 जून के दिन की गई थी। इसलिए हर साल 15 जून को इस पावन दिन को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन कैंची धाम के लिए अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे स्वयं नीम करोली बाबा ने चुना था। नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली और अपना भौतिक शरीर त्याग दिया। उनकी अस्थियों को श्रद्धापूर्वक कैंची धाम में स्थापित किया गया। इसके बाद 1974 में बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ, जहां भक्तों ने उनकी उपस्थिति को आत्मिक रूप से अनुभव किया। वैदिक मंत्रों और धार्मिक विधियों के साथ बाबा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई, और उन्हें गुरु मूर्ति के रूप में कैंची धाम में ससम्मान विराजमान किया गया। आज भी लाखों श्रद्धालु वहां उनकी कृपा और आशीर्वाद पाने आते हैं।