“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है” — यह कहावत केवल शब्दों की बाज़ीगरी नहीं, बल्कि आज के युग में भी उतनी ही सच है। अक्सर हम सेहत से जुड़ी समस्याओं के लिए खान-पान, लाइफस्टाइल या पर्यावरण को दोष देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर का वास्तु भी आपकी सेहत पर गहरा असर डालता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की बनावट और ऊर्जा का प्रवाह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि लंबे समय तक किसी घर में बीमारी बनी रहती है, तो संभावना है कि वहां कोई वास्तु दोष मौजूद हो। अच्छी बात यह है कि कुछ आसान उपायों से इन दोषों को दूर किया जा सकता है।
आइए पंडित बलराम तिवारी से जानते हैं कुछ प्रभावी वास्तु टिप्स जो आपके और आपके परिवार के बेहतर स्वास्थ्य की चाभी बन सकते हैं।
नींद की दिशा का रखें ध्यान
स्वस्थ शरीर के लिए गहरी और शांत नींद अत्यंत ज़रूरी है। वास्तु के अनुसार, हमेशा सिर दक्षिण दिशा में रखकर सोना चाहिए ।
- वाथ (Vata) और कफ (Kapha) प्रकृति के लोग बाईं करवट सोएं
- पित्त (Pitta) प्रकृति वालों को दाईं करवट लेनी चाहिए
इससे न केवल ऊर्जा संतुलित रहती है बल्कि नींद की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
सीढ़ियों का स्थान सही हो
अगर घर के बीचों-बीच सीढ़ियाँ बनी हों, तो यह घर के ऊर्जा केंद्र (ब्रह्मस्थान) को बाधित करती हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
सीढ़ियाँ हमेशा कोनों में बनवाएं — विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम में।
ब्रह्मस्थान को रखें खाली
घर का केंद्रीय स्थान, जिसे ‘ब्रह्मस्थान’ कहा जाता है, वास्तु के अनुसार सबसे पवित्र और ऊर्जावान स्थान होता है।
इस स्थान पर भारी फर्नीचर, बीम या कोई भी निर्माण कार्य न करें।
यदि संभव हो, तो वहां ‘क्रिस्टल ग्रिड या रेखी चार्ज पिरामिड’ रखें, जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
अग्नि तत्व का संतुलन बनाए रखें
घर में अग्नि तत्व का असंतुलन भी बीमारियों का कारण बनता है। मसलन घर का ढलान दक्षिण की ओर होना। जेनरेटर रूम उत्तर-पूर्व दिशा में होना। अंडरग्राउंड वाटर टैंक दक्षिण-पूर्व में होना। ऐसे मामलों में दक्षिण दिशा के गेट को ज्यादा समय तक बंद रखें, गेट को लकड़ी से बनवाएं और ऊँचाई पर रखें। घर के ‘दक्षिण-पूर्व कोने में रोज़ दीपक जलाएं। ‘
रसोई का सही स्थान तय करें
रसोई घर का संबंध अग्नि तत्व से होता है, इसलिए इसकी दिशा का सही होना बहुत ज़रूरी है। अगर रसोई आग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) में न होकर कहीं और हो, तो स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। हमेशा प्रयास करें कि रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में बने।
प्राकृतिक उपायों से करें सुधार
मुख्य द्वार के दोनों ओर ‘सिट्रस (नींबू, संतरा) वाले पौधे’ लगाएं। घर की ‘बाउंड्री वॉल की ऊंचाई मुख्य गेट के बराबर’ रखें। जेनरेटर को दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में रखें। पानी की टंकी उत्तर या उत्तर-पूर्व में रखें। वास्तु दोषों के निवारण के लिए घर में ‘हनुमान जी की तस्वीर’ लगाएं।
नोट : लेख में दिए गए नुस्खे की जानकारी व दावे पूरी तरह से विद्वानों से की गयी बातचीत पर आधारित हैं। दिव्यसुधा इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेती है। किसी भी तरह के उपाय आजमाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य की सलाह जरूर ले लें।