हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा का धरती पर प्रकट हुई थी । इसलिए यह दिन बेहद पवित्र माना जाता है। इस साल गंगा सप्तमी 3 मई को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने से उनके आशीर्वाद से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। इसलिए इस शुभ दिन पर कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
गंगा सप्तमी का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि गंगा नदी में श्रद्धा से स्नान करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में गंगा को कलयुग का सबसे बड़ा तीर्थ बताया गया है। गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में उन्हें मां का दर्जा दिया गया है, इसलिए उन्हें “गंगा मैया” कहा जाता है। गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा के साथ-साथ सूर्य देव, भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा का भी खास महत्व होता है। इस दिन सच्चे मन से पूजा और स्नान करने से शुभ फल मिलते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
गंगा सप्तमी मुहूर्त
गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 3 मई 2025 को सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो रही है और इसका समापन 4 मई को सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी का व्रत और पूजन शनिवार, 3 मई को किया जाएगा। यह दिन मां गंगा की पूजा और स्नान के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
इस दिन न करें ये काम
अगर आप चाहते हैं कि मां गंगा की कृपा आप पर बनी रहे, तो गंगा नदी को कभी गंदा न करें। इस पवित्र नदी में कूड़ा-कचरा डालना पाप माना गया है। गंगा सप्तमी के दिन नकारात्मक विचारों से दूर रहें और किसी जरूरतमंद या असहाय व्यक्ति का अपमान न करें। इस दिन अच्छे कर्म करें और अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को भोजन, कपड़े या अन्य चीजें दान करें। ऐसा करने से मां गंगा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मां गंगा के मंत्र
मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप गंगा सप्तमी के मौके पर देवी गंगा के इन दिव्य मंत्रों का जप कर सकते हैं –
गंगा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा। पापं तापं च दैन्यं च हन्ति सज्जनसङ्गमः।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः
गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि।