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दिव्य सुधा > अन्य > पति की मृत्यु के बाद भानुमति ने क्यों किया अर्जुन से विवाह
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पति की मृत्यु के बाद भानुमति ने क्यों किया अर्जुन से विवाह

दिव्यसुधा
Last updated: April 17, 2025 11:18 am
दिव्यसुधा
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bhanumati
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महाभारत केवल एक महाकाव्य नहीं है, बल्कि यह कथाओं का एक विशाल भंडार है। इसमें नीति, कर्म, त्याग, बलिदान, प्रेम, युद्ध, धर्म और अधर्म से जुड़ी अनगिनत किस्से-कहानियां हैं। ऐसी ही एक कथा दुर्योधन की पत्नी के बारे में भी है, जिसका नाम भानुमति था। जो अत्यंत सुंदरी होने के साथ ही बहुत चतुर भी थी। वह कांबोज के राजा चंद्रवर्मा की पुत्री थी। राजा ने भानुमति के विवाह के लिए एक स्वयंवर रखा था। स्वयंवर में दुर्योधन और कर्ण सहित भारत के सभी राजा आमंत्रित थे, जिनमें शिशुपाल, जरासंध, रुक्मी आदि भी थे।

भानुमति का अपहरण
दुर्योधन चाहता था कि भानुमति उसे वरमाला पहनाए, लेकिन स्वयंवर में भानुमति हाथ में माला लेकर दुर्योधन के सामने से आगे बढ़ गई। तब दुर्योधन ने उसके साथ से माला झपटकर खुद ही अपने गले में डाल ली। इस पर सभी राजाओं ने तलवारें निकाल लीं। कर्ण की सहायता से दुर्योधन ने सभी योद्धाओं सभी को परास्त कर दिया। वह भानुमति का अपहरण कर हस्तिनापुर ले आया।

कहते है कि भानुमति भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थी। वह पूरी उम्र कृष्ण जी की पूजा करती रही। इस बात के लिए उसके पति दुर्योधन ने कई बार उसे खरी-खोटी सुनाई, अपमान भी किया लेकिन भानुमति के लिए भगवान कृष्ण हमेशा आराध्य रहे। भानुमति की यह कृष्ण भक्ति उसके पति दुर्योधन की मृत्यु के बाद भी बनी रही। भानुमति के बेटे का नाम लक्ष्मण था और बेटी का नाम लक्ष्मणा था। लक्ष्मण महाभारत के युद्ध में मारा गया।

अपने पुत्री का विवाह कृष्ण के पुत्र से कराई

अपने कुनबे को बचाने के लिए भानुमति ने ही भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को अपनी पुत्री लक्ष्मणा को भगाकर ले जाने की युक्ति सुझाई. उसे अंदाज था कि युद्ध के बाद स्थितियां बदल चुकी हैं, लिहाजा उसे अब पांडवों से संबंध बेहतर कर लेने चाहिए. कृष्ण ने भी इस मामले में उसकी मदद की. कथा के अनुसार, जब साम्ब ने लक्ष्मणा का अपहरण कर लिया, तो दुर्योधन बहुत क्रोधित हुआ, तब भानुमति ने दुर्योधन को अपने अपहरण की याद दिलाई और साम्ब से लक्ष्मणा के विवाह में अहम भूमिका निभाई। कहते हैं, भानुमति ने अपने कुनबे को बचाने के लिए हर वो असंगत कार्य किया, हर उस चीज को जोड़ा, जिसका जुड़ना संभव नहीं था। इसीलिए ‘कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा’ संबंधित कहावत बनी।

भानुमति ने क्यों किया अर्जुन से विवाह?
सवाल यह उठता है कि भानुमति ने कौरवों के दुश्मन अर्जुन से क्यों विवाह कर लिया। भानुमति जितनी रूपवती थी, उतनी ही चतुर भी। कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध तय हो गया, तब भानुमति को पता था कि कौरवों का सर्वनाश होना निश्चित है। महाभारत युद्ध के बाद भानुमति नहीं चाहती थी कि आगे भविष्य में कोई युद्ध हो, इसलिए श्री कृष्ण के कहने पर उसने अर्जुन से विवाह कर लिया था।

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