नव संवत्सर के प्रथम दिन यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र मास के नवरात्रि पर्व को वासन्तिक नवरात्रि पर्व भी कहा जाता है। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं और रामनवमी 06 अप्रैल को पड़ रही है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घट स्थापना करते है घट स्थापना का सबसे जायदा महत्व शारदीय नवरात्रि पर रहता है परन्तु कलश स्थापना तो सभी नवरात्रि में करते है। कोई भी काम शुरू करने के लिए नवरात्रि के दिन बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन नौ दिनों में माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और विधि पूर्वक माता की आराधना करते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं नवरात्रि में कलश और घट स्थापना स्थापना क्यों की जाती है।
घट स्थापना क्यों करते है?
घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है। घट में मिट्टी डालकर उसमें जौ उगाई जाती है। 8 से 9 दिनों में यह जौ उग जाती है। इस घट को माता दुर्गा की प्रतिमा के सामने स्थापित करके इसका पूजन करें। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
क्यों करते हैं कलश स्थापना?
कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। कलश में जल होता है। उसके मुख पर श्रीफल रखा जाता हैं। जल विष्णु और वरुण देव का प्रतीक है और श्रीफल माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। कलश की पूजा करने से सभी देवी और देवताओं की पूजा हो जाती है। कलश पूजा के समय देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करते हैं कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’