बेंगलुरु से सिर्फ 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, नंदी के विचित्र गांव में उल्लेखनीय भोगनंदीश्वर मंदिर है। यह मंदिर चिक्कबल्लापुर शहर के नंदी गाँव में पांच पहाड़ियों के बीच में स्थित है। यह लगभग एक हज़ार वर्ष पुराना मंदिर हैं जो कर्नाटक के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। भोग नंदीश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक सुंदर मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच बाना रानी रत्नावली द्वारा किया गया था। जिसके बाद, भविष्य के शासकों द्वारा इस मंदिर में कई प्रकार के नवीनीकरण और शंसोधन किये गए है। परिसर में तीन मंदिर स्थित है अरुणाचलेश्वर मंदिर, भोग नन्दीश्वर मंदिर और योग नन्दीश्वर मंदिर जो क्रमशः भगवान शिव के बचपन, युवावस्था और त्याग चरण को दर्शाते है। इन तीनों मंदिरों के बीच में एक छोटा सा मंदिर है जिसे उमामहेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है, भोग नन्दीश्वर मंदिर शिव के यौवन का प्रतीक है। यहाँ महाशिवरात्रि के दिन अभिषेक, मेला सहित कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। प्रत्येक प्रमुख मंदिर के गर्भगृह में एक बड़ा लिंग है और मंदिर के सामने एक मंडप में नंदी की मूर्ति है। यह कर्नाटक में द्रविड़ वास्तुकला की नोलंबवाडी-शैली का सबसे पुराना जीवित मंदिर है। जुड़वां मंदिरों के बीच में एक छोटा सा मध्यवर्ती मंदिर है, जिसे “उमा-महेश्वर” मंदिर कहा जाता है, विशाल मंदिर परिसर मूर्तियों, नक्काशी, स्तंभों, मंडपों, अलंकृत दीवारों और देवताओं से समृद्ध रूप से अलंकृत है! भोग नन्दीश्वर मंदिर के उत्तरी भाग में एक विशाल जलाशय भी है। इस मंदिर को कल्याणी या पुष्कर्णी के नाम से भी जाना जाता है। यह का पवित्र नदी पिनाकिनी का पानी इस जलाशय में चमत्कारिक रूप से आता है। इस जलाशय के चारों तरफ चलने के लिए जगह बनाई गयी है और जलाशय के नीचे जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं।
आकर्षण का केंद्र-
पहाड़ी पर मंदिर के ऊपर इसी मंदिर का एक और भाग स्थित है जिसे योग नंदीश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर नंदी की पहाड़ियों के सबसे ऊपर स्थित है। यह मंदिर शिव जी को समर्पित है और यह उनके परित्याग, मोह भंग, सांसारिक वस्तुओं से लगाव ना होना इत्यादि को दर्शाता है। यहाँ के मुख्य स्तम्भ काले पत्थरों से निर्मित किये गए है मंदिर की बाहरी दीवारों पर आकर्षक भित्ति स्तंभ, विभिन्न आकारों व चित्रों से खुदी हुई खिड़कियाँ व 2 मुख्य शिखर हैं। मंदिर के दीवारों पर अनेक प्रकार की कथाओं को कलाकृतियाँ द्वारा दर्शाया गया है जैसे कि नृत्य करते हुए शिव, भैंसे के सिर पर खड़ी माँ दुर्गा की भित्तियां इत्यादि। भोज नंदीश्वर मंदिर प्राचीन सभ्यता में बने कला का एक जीवंत उदाहरण है जिसे पहाड़ियों के बीच बनाया गया है। यह मंदिर चारों ओर से 5 पहाड़ियों ब्रह्म गिरी, स्कंद गिरी, विष्णु गिरी, दिव्य गिरी व नंदी दुर्गा से घिरा हुआ है जो इसे और भी अद्भुत बनाती है। इस मंदिर को महा शिवरात्रि के दौरान संपूर्ण मंदिर को भव्य रोशनी से सजा दिया जाता हैं सरे मंदिर परिसर को दीपक, पुष्प इत्यादि से सजाया जाता हैं और वहां कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
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