भगवान विष्णु ने धरती की रक्षा के लिए दस अवतार लिए थे। भगवान राम और भगवान कृष्ण के अवतार के बारे में तो लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के रूप में भी अवतार लिया था। भगवान परशुराम को भक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान शिव के परम भक्त थे और भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। अगर देखा जाए तो विष्णु जी के बाकी अवतारों की पूजा धूमधाम से होती है, लेकिन भगवान परशुराम की पूजा उतनी व्यापक नहीं है। आइए जानें कि आखिर भगवान विष्णु का अवतार होने के बाद भी भगवान परशुराम की पूजा बड़े स्तर पर क्यों नहीं होती।
कौन थे भगवान परशुराम
शास्त्रों के अनुसार, भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। उनका जन्म प्रदोष काल में हुआ था और जन्म के समय उनका नाम राम रखा गया। बाद में जब उन्होंने भगवान शिव की घोर भक्ति की और उन्हें प्रसन्न किया, तो भगवान शिव ने उन्हें परशु (कुल्हाड़ी) नाम का दिव्य अस्त्र प्रदान किया। तभी से उनका नाम परशुराम पड़ा। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य ने भगवान परशुराम से ही शस्त्र-विद्या सीखी थी। बाद में कर्ण ने भी उन्हें अपना गुरु बनाया। परशुराम जी ने भगवान शिव के साथ-साथ ऋषि विश्वामित्र और ऋषि ऋचीक से भी शिक्षा प्राप्त की थी। मान्यता है कि भगवान परशुराम अमर और चिरंजीवी हैं, यानी उनकी मृत्यु नहीं हो सकती। उन्होंने जब अपने अवतार का उद्देश्य पूरा कर लिया, तो स्वेच्छा से संसार का त्याग कर दिया।
कब है परशुराम जयंती
इस साल यानी 2025 में परशुराम जयंती 29 अप्रैल को मनाई जा रही है.भगवान शिव के परम भक्त कहे जाने वाले परशुराम जी के लिए इस दिन शोभा यात्राएं निकाली जाएंगी. इस मौके पर जगह जगह हवन और भंडारे होते हैं. कहा जाता है कि शक्ति और वीरता के वरदान के लिए भगवान परशुराम की पूजा का आह्वान किया जाता है. भगवान परशुराम ने योग और ध्यान के जरिए कई सिद्धियां प्राप्त की थी, इसलिए उनका आह्वान करके साहस और बल की कामना की जाती है.
क्यों नहीं होती है भगवान परशुराम की पूजा
आपने शायद ही देश में कहीं भगवान परशुराम का मंदिर देखा होगा। हमारे देश में जहां हर जगह देवी-देवताओं के मंदिर मिलते हैं, वहीं भगवान परशुराम की पूजा बहुत कम होती है। इसके पीछे एक खास कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद भगवान परशुराम का स्वभाव क्षत्रियों जैसा था। वे बहुत साहसी थे लेकिन उनका गुस्सा भी बहुत तेज था। अपने क्रोध में उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रियों से खाली कर दिया था। यहां तक कि भगवान गणेश भी उनके गुस्से का शिकार हो गए थे। उनके इस उग्र स्वभाव के कारण आम लोग उनकी पूजा नहीं करते। माना जाता है कि उनकी शक्ति और उग्रता को संभालना आसान नहीं है, खासकर गृहस्थ जीवन जीने वालों के लिए।
इसलिए साधारण लोग भगवान परशुराम की पूजा से दूर रहते हैं। केवल वे लोग जो सिद्धि या विशेष शक्तियां प्राप्त करना चाहते हैं, वे साधना के जरिए उनकी आराधना करते हैं। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का उग्र अवतार माना जाता है, और उनकी भक्ति साधारण लोगों के लिए कठिन मानी जाती है।