हिंदू धर्म में हर तिथि हर व्रत का अपना एक अलग महत्व है. साल में 24 एकादशी के व्रत होते हैं. हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है. एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में. माना जाता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को विजय की प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते है वो इस व्रत को रख सकते है दुःख पर विजय चाहिए तो विजया एकादशी के दिन अवश्य व्रत रखे और भगवान विष्णु का पूजन करें। फाल्गुन मास की पहली एकादशी को भगवान विष्णु के निमित्त विजया एकादशी का व्रत किया जाता है ।
कब है शुभ मुहूर्त –
विजया एकादशी तिथि का आरंभ 23 फरवरी को दोपहर में 1 बजकर 56 मिनट पर एकादशी तिथि का आरंभ और 24 तारीख को एकादशी तिथि 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, एकादशी तिथि 24 तारीख को होने के कारण विजया एकादशी का व्रत 24 को ही रखा जाएगा।
पूजन विधि –
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
सूर्यनारायण को केसर डालकर जल चढ़ाएं।
पीले चन्दन, पीले फूल, पीली मिठाई, लौंग सुपारी आदि से पूजन करें।
धूप दीप जलाएं और एकादशी की कथा सुने और मन ही मन विष्णु जी से अपनी समस्या कहें।
ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को सामर्थ्य अनुसार दान भी दें, उसके बाद स्वयं खाना खाएं।
विजया एकादशी का महत्व : –
स्कंद पुराण के अनुसार, विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को विजय प्राप्त होती है। भगवान राम ने भी विजया एकादशी का व्रत किया था। जब भगवान राम कपिदल के सहित सिन्धु तट पर पहुंचे तो रास्ता रुक गया। समीप में दालभ्य मुनि का आश्रम था जिन्होंने अनेकों ब्रह्मा अपनी आंखों से देखे थे। ऐसे चिरंजीव मुनि के दर्शनार्थ, सेना सहित, दण्डवत करके समुद्र से पार होने का उपाय पूछा-मुनि बोले, कल विजया एकादशी है। उसका व्रत आप सेना सहित करो। समुद्र से पार होने का तथा लंका पर विजय पाने का सुगम उपाय यही है। इस व्रत को भगवान राम और भगवान लक्ष्मण के साथ उनकी सेना ने भी किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी।