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दिव्य सुधा > सनातन धर्म > मंदिर > महाकाल मंदिर के समान है यह मंदिर, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य ने बहन के लिए कराया था
मंदिर

महाकाल मंदिर के समान है यह मंदिर, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य ने बहन के लिए कराया था

दिव्यसुधा
Last updated: April 9, 2025 7:11 am
दिव्यसुधा
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mahadev
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देवों के देव महादेव की महिमा के बारे में तो आप सब जानते हैं। हिंदू धर्म में सोमवार का दिन उनकी पूजा के लिए विशेष माना जाता है। यूं तो देश में शिव जी के कई सारे मंदिर हैं जहां भक्तजन उनके दर्शन के लिए जाते हैं। आज हम आपको महादेव के ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको राजा विक्रमादित्य ने अपनी बहन के लिए बनवाया था।

दरअसल, राजा विक्रमादित्य ने उज्जैन में बाबा महाकाल मंदिर का निर्माण करवाया था. यह के लोगो के अनुसार है कि उन्होंने अपनी बहन सुंदरा से किए गए एक वादे के अनुसार शाजापुर जिले के सुंदरसी गांव में एक मंदिर का निर्माण करवाया था जो एकदम महाकाल मंदिर की तरह ही दिखाई देता है. कालीसिंध नदी के तट पर छोटी अवंतिका नाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, खास बात यह है कि इस मंदिर को लेकर एक कहानी भी है.

यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है. मंदिर में लगे पुरातत्व विभाग के शिलालेख में यह जानकारी बताई गई है कि इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था. किदवंती के अनुसार ऐसा बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी बहन सुंदरा को वचन दिया था कि मैं तुम्हारी शादी ऐसी जगह करूंगा जहां पर अवंतिका के जैसा तीर्थ स्थल हों और जिस नगर में अवंतिका जैसे मंदिरों की सभी सुविधाएं मौजूद होगी.

राजा विक्रमादित्य के लिए बनवाया सुंदरगढ़ –
राजा ने अपने वचन को पूरा करने के लिए कालीसिंध नदी के तट पर सुंदरगढ़ नाम से एक नगर बसाया. इसी सुंदरगढ़ नगर को अब को अब सुंदरसी कहा जाता है. राजा विक्रमादित्य ने कालीसिंध नदी के कुंआरे पर बसे सुंदरगढ़ में भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और इसके चारों तरफ काल भैरव, नवग्रह, बड़े गणेश, चिंताहरण गणेश, गोपाल मंदिर, बाबा की कुटिया सहित अन्य मंदिरों का निर्माण भी कराया. मंदिर के निर्माण के बाद राजा विक्रमादित्य ने अपनी बहन सुंदरा का विवाह कराया था.

मान्यतानुसार, मंदिर के गर्भ गृह में एक गुफा स्थित है जिससे सुंदराबाई को स्नान करने के लिए उज्जैन से शिप्रा नदी का जल लाने के लिए‌ इस गुफा का निर्माण कराया गया था. इसके बाद तपस्वी साधु-संतों के द्वारा बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए इस गुफा के रास्ते से हो करके शिप्रा तट पर निकलते थे और उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन साधु संतों के द्वारा किया जाता था. आज यहां पर गुफा का गर्भ गृह वाला भाग तो सही है लेकिन अंदर से इस गुफा का हिस्सा बंद कर दिया गया है, आज भी यहां पर कई जीवंत समाधिया हैं.

दूर-दूर से पहुंचते हैं भक्त –
हरियाली से ओतप्रोत यह मंदिर अपनी अलग ही छटा दर्शाता है. खास बात यह है कि स्थानीय लोग इस मंदिर की महिमा उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर की तरह ही मानते हैं. नदी के किनारे पर बसा इस मंदिर पर यदि शासन और प्रशासन के द्वारा अगर ध्यान दिया जाए तो निश्चित ही यहां पर्यटन क्षेत्र बन सकता है प्रशासन के द्वारा यहां पर पर्यटक की दृष्टि से कार्य योजना तैयार करके निर्माण कार्य करवाना चाहिए ताकि इस मंदिर को पर्यटक स्थल की श्रेणी में लाया जा सके.

इस मंदिर की कुछ विशेषताएं भी हैं. मंदिर में गणेश मंदिर, नवग्रह, राम दरबार, सूर्यकुंड, गुफा, हनुमान मंदिर, काल भैरव, माता मंदिर भी बना हुआ है जिससे भक्तों को एक ही स्थान पर सभी भगवानों के दर्शन हो जाते हैं. इसके अलावा यह मंदिर चारों और परकोटा से घिरा हुआ है. जिससे इसकी सुंदरता देखने लयाक है. इस मंदिर में सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. जबकि सोमवार के दिन यहां विशेष पूजन होती है.

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