भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के 5 सरल उपाय, बदल जाएगी किस्मत

vishnu ji aur laxmi

हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी का विशेष महत्व है. भगवान विष्णु को समर्पित ये त्यौहार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. यानी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत २३ अप्रैल को शाम को 4:43 पर हुआ है। इसका समापन 24 अप्रैल की दोपहर 2: 32 मिनट पर होगा। ऐसे में आज के दिन वरूथनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन विष्णु जी की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। माना जाता है जो भी भक्त श्रध्दा भाव से वरूथनी एकादशी व्रत करते है। उनके भाग्य चमकने लगते है और जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त वरुथिनी एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करते है उस पर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।

वरुथिनी एकादशी पर करें ये विशेष उपाय :-

तुलसी दल से विष्णु पूजन :-
वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल का विशेष महत्व है, क्योंकि तुलसी उन्हें अत्यंत प्रिय है। पूजा के समय पीले फूल, धूप-दीप के साथ तुलसी अर्पित करें। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पीले रंग की चीजों का दान करें :-
वरुथिनी एकादशी के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना और पीले रंग की वस्तुएं जैसे चना, हल्दी, केले या पीले वस्त्र आदि जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पीला रंग विष्णु जी का प्रिय रंग है और इसे सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन ऐसा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है तथा भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

दान-पुण्य करें :-
वरुथिनी एकादशी पर केवल पीले रंग की वस्तुएं ही नहीं, बल्कि अन्य दान भी अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस पावन दिन पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल से भरे हुए घड़े या तांबे के पात्र का दान करना अत्यंत फलदायी होता है। कहा जाता है कि वरुथिनी एकादशी पर किया गया हर दान कई गुना अधिक फल देता है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। यह दिन पुण्य अर्जित करने और भगवान विष्णु की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।

संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें :-
वरुथिनी एकादशी के दिन निसंतान दंपतियों के लिए भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन यदि श्रद्धा और भक्ति भाव से नारायण की आराधना करते हुए संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो संतान सुख की प्राप्ति की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं। यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण के संतान स्वरूप की स्तुति है, जिसे विधिपूर्वक जपने से दंपति को शीघ्र संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिल सकता है।

एकादशी व्रत रखें :-
वरुथिनी एकादशी पर यदि कोई भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक निर्जला व्रत या फलाहार पर रहकर व्रत करता है, तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं यह व्रत आत्मशुद्धि और मोक्षप्राप्ति का श्रेष्ठ मार्ग माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया व्रत 10,000 वर्षों तक तपस्या करने के समान फल देता है। साथ ही, व्रत के दौरान यदि भक्त श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है, तो उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है यह व्रत जीवन के कष्टों को दूर करने, सुख-समृद्धि पाने और मोक्ष की प्राप्ति हेतु अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।