वेदों में वायु देवता को बहुत सम्मानित देवता माना गया है। उन्हें वायु के अधिपति, प्राणवायु के संचालक और जीवनदाता के रूप में पूजा जाता है। है इसी कारण वो सभी देवताओं में सबसे अधिक प्रिय और महत्वपूर्ण माने गए। वायु न केवल शारीरिक जीवन को संभव बनाता है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी चेतना और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। वायु देव से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं। वायु देव उत्तर-पश्चिम दिशा के संरक्षक हैं। कई जगहों पर उनके बारे में जो वर्णन मिलता है उसमें उन्हें एक हिंसक देवता के रूप में भी दिखाया गया है जो कि विध्वंस करने में माहिर हैं। उन्हें जंगलों में रहने वाले दिव्य प्राणी गंधर्वों का राजा और सर्वोच्च शासक भी कहा जाता है। आइए जानते हैं हनुमान जी,भीम और गंधर्वों से क्या है उनका रिश्ता…
बलशाली भीम के पिता
वायु देवता पांचों पांडवों में से एक भीम के पिता हैं। भीम से उनके रिश्ते को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके मुताबिक भीम की मां कुंती को ऋषि दुर्वासा द्वारा संतान पैदा करने का वरदान प्राप्त था। जब कुंती ने ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए मंत्र का प्रयोग किया, तो वायु देव ने अपने तेज से भीम को प्रदान किया। इसलिए भीम में अपार बल, तीव्रता और असाधारण शक्ति देखी जाती है। वह आगे चलकर पांडवों में सबसे शक्तिशाली बने।
हनुमान जी के पिता
ऐसा कहा जाता है कि वायु देवता हनुमान जी के आध्यात्मिक पिता हैं। इसीलिए हनुमान जी को पवनपुत्र कहा जाता है। वायु देवता का उग्र स्वरूप तब भी देखने को मिला था जब उनके पुत्र हनुमान पर बचपन में इंद्र देवता ने अपना शक्तिशाली वज्र चला दिया था और बाल हनुमान धरती पर मूर्छित होकर गिर पड़े थे। इसके बाद वायु देव ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया था।
वायु देवता का निवास स्थान
पौराणिक कथाओं के अनुसार गंधावती नाम की एक जगह है जिसे वायु देव का निवास स्थान माना जाता है। उनका हथियार ध्वज है और उनकी पत्नी का नाम भारती और स्वस्ति है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने हिरण की चपलता और तेज़ी के कारण उसे अपनी सवारी के रूप में चुना, जो उनकी शक्तियों से मेल खाता है।
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