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दिव्य सुधा > अन्य > कैसे हुआ शंख का जन्म? जानिए शंखनाद का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रभाव
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कैसे हुआ शंख का जन्म? जानिए शंखनाद का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रभाव

दिव्यसुधा
Last updated: April 15, 2025 8:02 am
दिव्यसुधा
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shankh
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हिन्दू धर्म में शंख को सदियों से संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा माना गया है शंख को केवल धर्मिक अनुष्ठानों में ही नहीं बल्कि दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। प्राचीन काल से शंख को घर में रखना शुभ माना जाता है और इसे पूजा- पाठ में भी प्रयोग किया जाता है। ज्योतिष और विज्ञान दोनों ही शंख की ध्वनि को अत्यंत लाभदायक मानते हैं। शंख की ध्वनि में एक अद्भुत प्रकार की शक्ति होती है जो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है। शंख की ध्वनि मन को शांत करने में अहम भूमिका निभाती है। इसी वजह से धार्मिक आयोजनों में शंख बजाने की परंपरा है। हिंदू धर्म में शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि को ॐ ध्वनि के समान पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शंख की आवाज से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शंख की उत्पत्ति की कहानी
शंख की उत्पत्ति की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, जब देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब उन चौदह रत्नों में से एक शंख भी निकला था। इन रत्नों में से एक शंख, पांचजन्य नामक, विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ। इसकी अद्भुत ध्वनि और गुणों से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने इसे धारण कर लिया। तब से शंख को भगवान विष्णु का प्रमुख हथियार माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है। शंख को माता लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है, क्योंकि समुद्र मंथन से ही धन की देवी मां लक्ष्मी का भी प्राकट्य हुआ था

शंख दो प्रकार के होते हैं
शंख कई प्रकार के होते हैं, जैसे दक्षिणावर्ती और वामावर्ती। दोनों ही शंखों की अपनी विशेषता होती है। आमतौर पर दक्षिणावर्ती शंख को अधिक शुभ माना जाता है। शंख की ध्वनि को बहुत पवित्र माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है और वातावरण को शुद्ध करती है। शंख का उपयोग पूजा-पाठ, यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। शंख भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसे कला और वास्तुकला में भी व्यापक रूप से उपयोग किया गया है।

शंखनाद का प्रभाव
अथर्ववेद और रणवीर भक्ति रत्नाकर जैसे प्राचीन ग्रंथों में शंखनाद के महत्व को विस्तार से बताया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, शंख की ध्वनि न केवल एक ध्वनि है बल्कि एक शक्तिशाली उपकरण है जो हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है। अथर्ववेद के मुताबिक शंख की ध्वनि में ऐसी शक्ति होती है जो हमारे आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा और अशांति को दूर करती है। यह हमें बाधाओं और परेशानियों से बचाने में मदद करता है। रणवीर भक्ति रत्नाकर में कहा गया है कि ध्वनि से बड़ा कोई मंत्र नहीं है। शंखनाद एक ऐसा ही मंत्र है जो हमारे मन और शरीर को शांत करता है। हालांकि, शंखनाद को सही तरीके से करना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर हम शंख को गलत तरीके से बजाते हैं तो यह हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए, शंख को हमेशा विधिपूर्वक ही बजाना चाहिए।

TAGGED:humare bhgwanसनातन धर्म
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