सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। शिव पुराण में भी इस व्रत का उल्लेख मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यापार और करियर में सफलता प्राप्त होती है। इस व्रत को करने वाली अविवाहित कन्याओं की विवाह संबंधी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इस बार अप्रैल का महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास है। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि पर पड़ने वाला गुरु प्रदोष व्रत इस साल अप्रैल 2025, दिन गुरुवार को है और वो भी एक अत्यंत शुभ योग के साथ। तो आज की इस खबर में हम आपको बताएंगे कि इस बार 9 अप्रैल या 10 अप्रैल, कब है प्रदोष व्रत। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
आपको बता दें कि इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल की रात 10 बजकर 55 बजे से हो रही है और यह 11 अप्रैल की रात 1:00 बजे तक रहेगी। हिन्दू धर्म में व्रत का निर्धारण उदया तिथि के अनुसार होता है, इसलिए यह पुण्य व्रत 10 अप्रैल को ही रखा जाएगा। यानी की इस बार प्रदोष का व्रत 10 अप्रैल को ही किया जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
जो भक्त महादेव की पूजा प्रदोष काल में करते हैं, उन्हें विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस बार प्रदोष काल शाम 6 बजकर 44 बजे से रात 8 बजकर 59 बजे तक रहेगा। यही वह समय है जब शिव जी अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में आप पूजन सामग्री की पहले से ही तैयारी कर लें और सही विधि अनुसार ही पूजा करें।
क्या होता है गुरु प्रदोष व्रत
गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है यह व्रत गुरु बृहस्पति और भगवान शिव दोनों की कृपा पाने का द्वार खोलता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन विधि पूर्वक पजा, उपवास, ध्यान और शिवपूजन करने से जीवन के सभी दोष समाप्त होते हैं और घर में शुभता का भी वास होता है।
ऐसे करें पूजा
गुरु प्रदोष व्रत के दिन में शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करना, बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करना विशेष फलदायक माना गया है। और साथ ही, प्रदोष व्रत कथा का श्रवण कर व्रत को पूर्ण किया जाता है। मान्यता है कि यह व्रत हर प्रकार की बाधा और संकट से रक्षा करता है। तो इस 10 अप्रैल को महादेव को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि विधान से ही पूजा करें।